सुंधर पिचाई: गूगल सीईओ की प्रेरणादायक कहानी
अगर आप तकनीक के शौकीन हैं तो सुंदर पिचाई का नाम ज़रूर सुनते होंगे। वो सिर्फ गूगल के सीईओ नहीं, बल्कि एक ऐसे भारतीय हैं जिसने दुनिया भर में टेक इंडस्ट्री को नया दिशा‑दर्शन दिया है। इस लेख में हम उनके शुरुआती जीवन से लेकर आज तक की प्रमुख उपलब्धियों पर नजर डालेंगे, ताकि आप समझ सकें कि उन्होंने कैसे अपने सपनों को सच किया।
शुरुआती जीवन और करियर
सुंदर पिचाई का जन्म 12 जुलाई 1972 को भारत के चेन्नई में हुआ था। बचपन से ही कंप्यूटर में रुचि दिखाते हुए उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। फिर स्टैनफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में एरोस्पेस में मास्टर करने के बाद, उन्हें सिलिकॉन वैली का आकर्षण मिला।
1999 में उन्होंने गूगल ज्वाइन किया और पहले प्रोडक्ट मैनेजमेंट टीम में काम किया। जल्दी ही उनकी बारीकी से सोच और उपयोगकर्ता‑केन्द्रित दृष्टिकोण ने उन्हें ‘गूगल क्रोम’ जैसी बड़ी परियोजनाओं पर ले गया। 2015 में लैरी पेज के बाद सुंदर को गूगल का सीईओ नियुक्त किया गया, जिससे भारतीयों की एक नई पहचान बनी।
आधुनिक तकनीक में भूमिका और एआई फोकस
सीईओ बनने के बाद पिचाई ने गूगल को सिर्फ सर्च इंजन से आगे बढ़ा कर AI‑ड्रिवेन प्लेटफ़ॉर्म बनाया। उनका मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हर उद्योग में बदलाव लाएगा, इसलिए उन्होंने ‘गूगल बर्ड’, ‘मेटा’ और क्लाउड AI सर्विसेज़ को तेज़ी से लॉन्च किया। इन तकनीकों ने छोटे व्यवसायों को भी विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना आसान कर दिया।
सुंदर पिचाई के नेतृत्व में गूगल ने गोपनीयता और डेटा सुरक्षा पर भी ज़ोर दिया। उन्होंने यूज़र कंट्रोल डैशबोर्ड पेश किया, जिससे उपयोगकर्ता अपनी जानकारी को बेहतर तरीके से मैनेज कर सकें। इससे कंपनी की साख बढ़ी और विज्ञापन राजस्व में स्थिर वृद्धि देखी गई।
भारत के लिए पिचाई ने कई पहलें शुरू कीं। उन्होंने भारत में AI रिसर्च सेंटर खोला, जिससे स्थानीय टैलेंट को अवसर मिला। इसके साथ ही ‘डिजिटल इंडिया’ प्रोजेक्ट्स में गूगल का सहयोग बढ़ा, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट पहुंच आसान हुई।
आज सुंदर पिचाई तकनीक के भविष्य को लेकर उत्साहित हैं और कहते हैं कि अगले दशक में AI हमारे रोज़मर्रा के कामों को और भी सहज बना देगा। उनका संदेश साफ़ है: सीखते रहो, बदलते रहो, और हमेशा उपयोगकर्ता‑के लिये बेहतर समाधान बनाओ।
तो अगर आप टेक करियर की योजना बना रहे हैं तो सुंदर पिचाई का सफर एक प्रेरणा स्रोत हो सकता है। उनकी कहानी से यह साफ़ दिखता है कि सही दिशा‑दर्शन, लगातार सीखना और उपयोगकर्ता को प्राथमिकता देना ही सफलता की कुंजी है।