Maa Kaalratri की कथा और महत्व

चैत्र नौवांड़ी का सातवाँ दिवस Maa Kaalratri को समर्पित है, जो दुर्गा का सबसे उग्र रूप माना जाता है। प्राचीन ग्रन्थों के अनुसार, शूम्ब और निशुम्भ जैसे दानवों ने त्रि लोकों में अराजकता मचा दी। जब सभी देवताओं ने हार मान ली, तब प्रथा ने अपनी शक्ति से Maa Kaalratri को प्रकट किया। वह काली वृष्णी, चार भुजाओं में क्रिपान और वज्र धारण करती है, और उसकी नाक से निकलती धधकती ज्वाला अंधकार को भस्म कर देती है।

इनकी प्रमुख कृत्यों में चंड और मुंडा का वध, तथा रक्तबीज नामक दानव को उसकी ही रक्त बूंदों से पराभव करना शामिल है। रक्त बूंदें गिरते ही नए दानव बनते, पर माँ ने उसका रक्त पीकर उन्हें अंकुश में रखा। इस कथा से यह समझ आता है कि Maa Kaalratri केवल भौतिक शत्रुओं को नहीं, बल्कि निराशा, भय और नकारात्मक सोच को भी नष्ट करती है।

आज का पंचांग: तिथि, समय और पूजा विधि

आज का पंचांग: तिथि, समय और पूजा विधि

04 अप्रैल 2025 को अस्थमी तिथि शुक्ल पक्ष की रात 8:12 PM से शुरू होकर 5 अप्रैल 2025 की शाम 7:26 PM तक चलती है। इस दिन शुक्रवार पड़ता है, जो देवी‑पूजा में अतिरिक्त लाभ देता है। पंचांग के अनुसार, इस तिथि में अनुकूल योग और ग्रह स्थिति निर्मल ऊर्जा का संचार करती है, इसलिए इस समय का उपयोग मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करने के लिए आदर्श माना जाता है।

ध्यान रखना चाहिए:

  • दुर्गा पूजा के 7 वाँ दिन, यानी अस्थमी, विशेष रूप से Maa Kaalratri के लिए है; इस दिन की पूजा में अर्द्ध‑रात्रि से लेकर संध्या तक का समय श्रेष्ठ माना जाता है।
  • शुभ मुहूर्त के अनुसार, सूर्यास्त के बाद के पहले दो घंटे (लगभग 6 PM‑8 PM) में प्रमुख अनुष्ठान करना सर्वाधिक फलवंत माना जाता है।
  • यदि आप घर से बाहर हैं, तो स्थानीय मंदिर में शाम को सुदर्शन पूजा कर सकते हैं, पर घर पर भी वही विधि अपनाए जा सकते हैं।

वस्त्रविन्यास और भोग

  • हरा वस्त्र पहनें – यह नवीनीकरण, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।
  • भोग में गुड़, गुड़‑से बनी मिठाइयाँ और काली कमल (Passiflora) के फूल शामिल करें।
  • पूजा में लाल चादर, कंचन, चंदन, रात्रानी फूल, रोलि, अक्षत और जल (गंगा जल) का उपयोग करें।

मुख्य मंत्र और पाठ

  • ओम् ऐँह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ॰ं कालरात्रि दैव्ये नमः
  • ओम् देवी कालरात्र्यै नमः

इन मंत्रों को तीन बार हाई आवाज़ में जपें, फिर प्रसाद के रूप में गुड़ और मिठाइयाँ अर्पित करें। साथ में दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से प्रभाव बढ़ता है।

पूजा विधि – संध्या अनुष्ठान

  1. सुरु में शिवरात्रि के पवित्र गंगाजल से पूजा स्थल को शुध्द करें।
  2. लाल चादर पर Maa Kaalratri की रूपरेखा बनाकर चार भुजाओं में क्रिपान, वज्र, तलवार और पिशाच वध के उपकरण रखें।
  3. रोलि, अक्षत, चंदन, रात्रानी और गुड़ का भोग अर्पित करें।
  4. दीप्तिमान दीयों या कर्पूर से आरती बजाएँ, जबकि “जगजगे दुर्गे” जैसी भजन गाएँ।
  5. पूजा समाप्त होने पर सभी उपस्थित लोग शुद्ध जल से हाथ‑पानी करें और अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करा लें।

प्रकाश की इस शाम में जब Maa Kaalratri का जयंती प्रकाशन हो, तो माना जाता है कि नकारात्मक विचार, भय और तनाव का नाश हो जाता है। इस दिन की साधना से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार आता है, बल्कि मनोवैज्ञानिक दृढ़ता भी बढ़ती है।

ध्यान रखें कि इस auspicious दिन का पूरा लाभ तभी उठाया जा सकता है जब श्रद्धा, शुद्धि और सच्ची निष्ठा के साथ पूजा की जाए। आज के पंचांग की जानकारी को अपने दैनिक शेड्यूल में जोड़ें और Maa Kaalratri के आशीर्वाद से स्वयं को शक्ति, शांति और संतुलन के साथ सशक्त बनाएं।

6 टिप्पणि

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    Santosh Hyalij

    सितंबर 29, 2025 AT 14:35
    इस तरह की पूजा विधि बिल्कुल गलत है। वेदों में कहीं भी कालरात्रि के लिए रोलि या कंचन का उल्लेख नहीं है। ये सब आधुनिक नव-पौराणिक फैक्शन हैं। असली शास्त्र जानने वाले जानते हैं कि केवल यज्ञ और वेद मंत्र ही मान्य हैं।
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    Sri Lakshmi Narasimha band

    अक्तूबर 1, 2025 AT 11:20
    वाह यार 🤯 ये तो बिल्कुल बाहर निकल गया! काली की नाक से ज्वाला निकलती है? और रक्तबीज का रक्त पीकर उसे रोक दिया? 😍 ये तो बॉलीवुड से भी ज्यादा ड्रामा है! पर अच्छा लगा, इतना रंगीन वर्णन कम ही कहीं मिलता है 💫
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    Sunil Mantri

    अक्तूबर 1, 2025 AT 16:00
    अस्थमी तिथि? ये शब्द ही गलत है... ये तो अष्टमी होता है न? और क्रिपान? क्या ये अंग्रेजी में बदल दिया? और गंगाजल का उपयोग शिवरात्रि के लिए? ये तो बिल्कुल भ्रम है... लोगों को भ्रमित कर रहे हो 😒
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    Nidhi Singh Chauhan

    अक्तूबर 2, 2025 AT 21:14
    हमेशा ऐसे ही... देवी की शक्ति को रक्त और हिंसा से जोड़ देते हैं। ये सब कौन बना रहा है? क्या ये भी कोई राष्ट्रवादी अभियान है? जब तक लोग भय के आधार पर पूजा करेंगे, तब तक नकारात्मकता का नाश नहीं होगा... ये तो भय का व्यापार है 🤔
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    Anjali Akolkar

    अक्तूबर 3, 2025 AT 18:00
    बहुत सुंदर जानकारी दी है ❤️ शाम को दीप जलाकर दुर्गा सप्तशती पढ़ने का विचार बहुत शांतिदायक है। मैं अपने घर पर यही करूंगी। धन्यवाद इस शुद्ध ऊर्जा के लिए 🙏
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    sagar patare

    अक्तूबर 5, 2025 AT 03:28
    ये सब बकवास है भाई, तुम्हारे घर में जो भी बैठा है उसका दिमाग बहुत भारी है। बस एक दीप जला दे, गुड़ खा ले, और अपने दिल को शांत कर ले। ये सारे नियम तो बस दिमाग भरने के लिए हैं।

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