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1 दिसंबर, 2025 को शाम तक, चेन्नई के लगभग 50 किमी पूर्व-दक्षिणपूर्व में स्थित साइक्लोन दित्वाह के अवशेष एक गहरी अवनमन में बदल चुके थे, लेकिन इसकी ताकत अभी भी तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों को तबाह कर रही थी। चेन्नई के क्षेत्रीय मौसम केंद्र (RMC) के अनुसार, इस गहरे अवनमन का केंद्र चेन्नई के तट से केवल 35 किमी की दूरी पर था, और इसकी गति केवल 3 किमी/घंटा थी — इतनी धीमी कि बारिश और हवाएं लगातार बरस रही थीं। यह तूफान अभी भी तट के समानांतर चल रहा था, लेकिन उसका नुकसान तट से दूर नहीं था।
तमिलनाडु में बाढ़ और बंद शिक्षा संस्थान
रविवार रात से लगातार बरसती बारिश ने चेन्नई, चेंगलपट्टु, कांचीपुरम और तिरुवल्लूर जिलों में भारी जलभराव का कारण बना दिया। मारिना बीच पर 60-70 किमी/घंटा की हवाएं चल रही थीं, जो कभी-कभी 80 किमी/घंटा तक पहुंच गईं। तमिलनाडु के राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री केकेएसएसआर रामचंद्रन ने बताया कि राज्य में कम से कम तीन लोगों की मौत बारिश के कारण हुई है — एक छत गिरने से, एक बाढ़ में बह गए, और एक व्यक्ति बिजली के झटके से।
ग्रेटर चेन्नई नगर निगम ने कहा कि शहर के अधिकांश हिस्सों में भारी बाढ़ नहीं हुई, लेकिन मनाली, टोंडियारपेट और अडयार जैसे निचले इलाकों में पानी जमा हो गया। निगम ने पंप लगाकर जलभराव नियंत्रित करने का प्रयास किया। पट्टालम में भी जलभराव की रिपोर्ट आई। लेकिन यहां एक अजीब बात हुई — शिक्षा विभाग ने मंगलवार, 2 दिसंबर को स्कूल और कॉलेज बंद करने का फैसला किया, जबकि शुरू में चेन्नई में कोई छुट्टी नहीं घोषित की गई थी। इससे माता-पिता और छात्र भ्रमित हो गए।
आंध्र प्रदेश में चेतावनी, श्रीलंका में आपदा
दूसरी ओर, आंध्र प्रदेश के प्रकाशम, एसपीएसआर नेल्लोर और तिरुपति जिलों में अधिकारियों ने भारी बारिश की चेतावनी जारी की थी। भारतीय मौसम विभाग के महानिदेशक एम मोहपात्रा ने कहा, "साइक्लोन दित्वाह भारतीय तट पर नहीं टकराएगा, बल्कि तट के बाहर से गुजरेगा।" लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि "इन हवाओं का खेतों पर बड़ा असर हो सकता है। निचले इलाकों में बाढ़ हो सकती है।"
लेकिन इसका सबसे भयानक प्रभाव भारत से पहले श्रीलंका में देखा गया। जब दित्वाह श्रीलंका के ऊपर से गुजरा, तो उसने एक आपदा का रूप ले लिया। कम से कम 334 लोग मारे गए, 370 लोग गायब हो गए, लगभग 20,000 घर बर्बाद हो गए, और 1,00,000 से अधिक लोग सरकारी शिफ्टिंग सेंटर्स में शरण लेने को मजबूर हुए। गांवों में नदियां बहाव में आ गईं, रास्ते बह गए, और बिजली के खंभे गिर गए।
भारत की मानवीय मदद: ऑपरेशन सागर बंधु
भारतीय वायु सेना ने श्रीलंका के लिए ऑपरेशन सागर बंधु के तहत तुरंत मदद शुरू कर दी। दो परिवहन विमानों के जरिए 400 से अधिक भारतीय नागरिकों को कोलंबो से वापस लाया गया। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) के 38 टीमें तमिलनाडु में तैनात की गईं। ये टीमें बाढ़ में फंसे लोगों को बचाने, आपातकालीन चिकित्सा सुविधाएं देने और खाद्य और पानी की आपूर्ति करने के लिए तैयार थीं।
क्या अब क्या होगा?
मौसम विभाग के अनुसार, दित्वाह का अवशेष मंगलवार शाम तक एक साधारण अवनमन में बदल जाएगा। लेकिन इसके बाद भी तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में बारिश जारी रहने की संभावना है। खेतों में लगे फसलों को नुकसान होने की आशंका है — खासकर धान और बाजरा की फसलें। तटीय इलाकों में नमकीन पानी के कारण भूमि की उपजाऊ शक्ति भी प्रभावित हो सकती है।
चेन्नई के एक रोजगार वाले व्यक्ति ने कहा, "हमारी दुकान बंद है, बारिश के कारण कोई नहीं आता। लेकिन श्रीलंका के लोगों की कहानी सुनकर लगता है कि हम बहुत भाग्यशाली हैं।" यह बात बहुत से लोगों के दिल में बैठ गई है।
पिछली घटनाएं और आज की स्थिति
2023 में साइक्लोन ओदीस ने तमिलनाडु के तट पर 12 लोगों की जान ले ली थी। 2022 में तूफान बैंगकॉक ने आंध्र प्रदेश के कई जिलों में भारी नुकसान पहुंचाया था। लेकिन दित्वाह की अनोखी बात यह है कि इसने भारत के तट पर नहीं, बल्कि श्रीलंका में सबसे ज्यादा नुकसान किया। यह बताता है कि आज के तूफान अब सिर्फ एक राज्य के लिए नहीं, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए खतरा हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बंगाल की खाड़ी में तूफानों की आवृत्ति बढ़ रही है, और वे अब अधिक तीव्र हो रहे हैं। दित्वाह एक और चेतावनी है — तटीय आबादी को तैयार रहना होगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
साइक्लोन दित्वाह ने श्रीलंका में कितने लोगों की जान ली?
साइक्लोन दित्वाह ने श्रीलंका में कम से कम 334 लोगों की जान ले ली और लगभग 370 लोग गायब हो गए। इसके अलावा, 20,000 से अधिक घर बर्बाद हो गए, और 1,00,000 से अधिक लोग सरकारी शिफ्टिंग सेंटर्स में शरण लेने को मजबूर हुए। यह श्रीलंका के इतिहास में सबसे भयानक प्राकृतिक आपदाओं में से एक है।
भारतीय वायु सेना ने श्रीलंका के लिए क्या मदद की?
भारतीय वायु सेना ने ऑपरेशन सागर बंधु के तहत दो परिवहन विमानों के माध्यम से 400 से अधिक भारतीय नागरिकों को कोलंबो से बचाकर वापस लाया। इसके अलावा, आपातकालीन आपूर्ति, चिकित्सा सामग्री और जल बर्तन भी श्रीलंका को भेजे गए। यह भारत और श्रीलंका के बीच आपदा प्रबंधन सहयोग का एक बड़ा उदाहरण है।
चेन्नई में बाढ़ की स्थिति क्या है?
चेन्नई के अधिकांश हिस्सों में भारी बाढ़ नहीं हुई, लेकिन मनाली, टोंडियारपेट और अडयार जैसे निचले इलाकों में पानी जमा हुआ। ग्रेटर चेन्नई नगर निगम ने पंप लगाकर जलभराव नियंत्रित किया। तटीय इलाकों में लगातार बारिश के कारण जलभराव जारी रह सकता है।
क्या साइक्लोन दित्वाह भारतीय तट पर आया?
नहीं, साइक्लोन दित्वाह भारतीय तट पर नहीं टकराया। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, यह तट के बाहर से गुजरा, लेकिन तटीय क्षेत्रों में भारी बारिश और तेज हवाएं लाई। इसलिए तटीय आबादी के लिए खतरा बरकरार रहा।
अगले कुछ दिनों में मौसम कैसा रहेगा?
मौसम विभाग के अनुसार, दित्वाह का अवशेष 2 दिसंबर शाम तक साधारण अवनमन में बदल जाएगा। लेकिन तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में अभी भी बारिश जारी रह सकती है। खेतों में फसलों को नुकसान होने की संभावना है, खासकर धान और बाजरा।
क्या जलवायु परिवर्तन इस तरह के तूफानों को बढ़ा रहा है?
हां, वैज्ञानिकों का कहना है कि बंगाल की खाड़ी का तापमान बढ़ने से तूफान अधिक तीव्र और अधिक बार हो रहे हैं। दित्वाह जैसे तूफान अब सिर्फ एक राज्य का मुद्दा नहीं, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए एक नया खतरा हैं। तटीय नियोजन और आपदा तैयारी को अपग्रेड करना अब जरूरी है।