जुल॰, 8 2024
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ईरान में हाल ही में आयोजित हुए राष्ट्रपति चुनावों में मसूद पेज़शकियान को नए राष्ट्रपति के रूप में चुना गया है। मसूद एक पूर्व हृदय शल्य चिकित्सक रहे हैं और उनकी जीत ने उनके कट्टरपंथी प्रतिद्वंद्वी सईद जलीली को पराजित कर दिया है। यह चुनाव उस समय हुआ जब पहले दौर में कोई भी उम्मीदवार बहुमत प्राप्त नहीं कर सका था। 28 जून को आयोजित इस पहले दौर में मतदान की दर ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर 40% रही।
मसूद पेज़शकियान ने अपने चुनाव अभियान में 'एकता और सामंजस्य' का वादा किया है और साथ ही उनका उद्देश्य ईरान को विश्व के साथ 'अलगाव' से बाहर निकालना है। उन्होंने पश्चिमी शक्तियों के साथ 'रचनात्मक वार्ता' के माध्यम से 2015 के परमाणु समझौते को फिर से जीवित करने के महत्व पर जोर दिया है। दूसरी ओर, उनके प्रतिद्वंद्वी सईद जलीली, जो पूर्व परमाणु वार्ताकार रहे हैं, ने इस समझौते की पुनःस्थापना का विरोध किया है और इसे ईरान की 'लाल रेखाओं' का उल्लंघन माना है।
यह चुनाव मई माह में ईरान के पूर्व राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी के एक हेलीकॉप्टर हादसे में निधन के कारण आयोजित किया गया। इस पूरे चुनावी प्रक्रिया के दौरान, सोशल मीडिया पर मतदाताओं से किसी भी उम्मीदवार को वोट न देने की अपीलें की गईं, परंतु सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनी ने इस कम मतदान को अपनी नेतृत्व की अस्वीकृति के रूप में खारिज किया।
स्थानीय मीडिया आउटलेट्स ने भी जनता को अधिक से अधिक संख्या में मतदान करने के लिए प्रोत्साहित किया और कहा कि प्रत्येक वोट का महत्व है जो देश के भविष्य को आकार देने में सहायक होगा। प्रारंभिक चुनाव परिणाम शनिवार सुबह तक आने की उम्मीद है।
ईरान में सरकार और राजनीति के सदर्भ में, मसूद पेज़शकियान एक व्यापक रूप से जाने-माने नाम हैं। उनका राजनीतिक करियर अनेक उथल-पुथल और परिवर्तन के बीच प्रगति की दिशा में निरंतर आगे बढ़ता रहा है। इससे पूर्व भी उन्होंने विभिन्न उच्च पदों पर अपनी सेवाएं दी हैं, जहां उनके काम को सराहा गया है।
इस चुनावी जीत के बाद, मसूद पेज़शकियान ने जोर देकर कहा है कि वे देश को एक नई दिशा में ले जाने के लिए कृतसंकल्प हैं। उनका कहना है कि वे विश्व के देशों के साथ संबंधों में सुधार लाना चाहेंगे ताकि देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने का मार्ग प्रशस्त हो सके।
उनके लिए पहला और सबसे महत्वपूर्ण कार्य होगा 2015 के परमाणु समझौते को पुनः सत्यापित करवाना। इसके लिए उन्हें पश्चिमी देशों के साथ रचनात्मक और संवादात्मक वार्ता जारी रखनी होगी। इसका मुख्य कारण यह है कि पिछले कुछ सालों में, इस समझौते के न स्थिर होने से ईरान की अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।
इसके अलावा, देश के अंदरूनी मामलों में भी उन्हें कई महत्वपूर्ण निर्णय लेने होंगे। देश में बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों का समाधान करने के लिए यह आवश्यक होगा कि वे उच्च स्तर पर नीति निर्माताओं के साथ मजबूत समन्वय कायम करें।
मसूद पेज़शकियान का यह वादा कि वे एकता और सामंजस्य के साथ आगे बढ़ेंगे, उनके समर्थकों के लिए एक नया उत्साह लेकर आया है। जबकि आलोचकों का विचार है कि उन्हें अपने वादों को पूरा करने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
देश के सामने मुख्य चुनौतियाँ
ईरान के इस नए राष्ट्रपति को जिन प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, उनमें सबसे पहली है देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना। अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के चलते ईरान की अर्थव्यवस्था काफी संघर्ष कर रही है। दूसरी चुनौती है बेरोजगारी को कम करना। देश का युवा वर्ग खासकर इस संकट से जूझ रहा है।
परमाणु समझौते का पुनःस्थापन
एक मुख्य मुद्दा है 2015 का परमाणु समझौता। पेज़शकियान का मानना है कि इस समझौते के पुनःस्थापित होने से ईरान की अर्थव्यवस्था में सकारात्मक बदलाव आएंगे। इसके लिए, उन्हें न केवल पश्चिमी शक्तियों के साथ संवाद जारी रखना होगा, बल्कि घरेलू समर्थन भी सुनिश्चित करना होगा।
रोजगार और महंगाई
बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे पर भी पेज़शकियान को प्रभावी नीतियाँ अपनानी होंगी। युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा करना और महंगाई को नियंत्रित करना उनकी प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक होगा।
समर्थकों और आलोचकों की प्रतिक्रिया
मसूद पेज़शकियान की जीत के बाद, उनके समर्थकों में नए उत्साह का संचार हुआ है। वे उम्मीद कर रहे हैं कि उनके नेतृत्व में देश को नई दिशा मिलेगी और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी ईरान की स्थिति मजबूत होगी। दूसरी ओर, आलोचकों का मानना है कि पेज़शकियान को अपने वादों को पूरा करने में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
इस प्रकार, मसूद पेज़शकियान की यह जीत ईरान के लिए नए उम्मीदों और चुनौतियों का द्वार खोलती है। यह देखना होगा कि वे अपने वादों को किस हद तक पूरा कर पाने में सफल होते हैं और देश को नई दिशा में कैसे आगे बढ़ाते हैं।