NPA – क्या है और क्यों महत्वपूर्ण?
जब बैंक को लोन दिया जाता है तो उम्मीद रहती है कि borrower समय‑पर रिटर्न करेगा। लेकिन कभी‑कभी वह नहीं करता, ऐसी स्थिति को हम NPA (Non‑Performing Asset) कहते हैं। साधारण शब्दों में कहें तो यह वो ऋण है जो 90 दिन से अधिक देर से चुकाया गया हो या पूरी तरह ही डिफॉल्ट हो चुका हो। भारत की वित्तीय दुनिया में NPA का स्तर सीधे‑सीधे आर्थिक स्थिरता, बैंकों के लाभ और आम जनता की बचत पर असर डालता है।
NPA के कारण और उनका असर
आमतौर पर NPA दो बड़े कारणों से बनते हैं—पहला, उद्योग‑विशेष संकट जैसे स्टील या टेक्सटाइल सेक्टर में गिरावट; दूसरा, व्यक्तिगत डिफॉल्ट जहाँ छोटे व्यवसायी या खुदरा ग्राहक अपनी आय घटने के बाद क़र्ज नहीं चुकाते। जब बैंक का बड़ा हिस्सा NPA में बदल जाता है तो उसके पास नए लोन देने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे आर्थिक विकास रुक सकता है। साथ ही शेयर मार्केट पर भी नकारात्मक भाव बनते हैं क्योंकि निवेशक बैंकों की स्वास्थ्य को लेकर चिंतित होते हैं।
सरकार और RBI लगातार NPA घटाने के लिए कई कदम उठाते आए हैं—जैसे कि इन्फ़्रास्ट्रक्चर लोन पर प्रॉक्सी रेज़ॉल्यूशन फ्रेमवर्क, या स्ट्रिक्ट एग्रीमेंट्स ऑन कलेक्शन। इन उपायों से कभी‑कभी सफलता मिलती है, लेकिन अक्सर कारण गहरे होते हैं और सुधार में समय लग जाता है।
NPA से जुड़ी नई अपडेट्स
समाचार विजेता पर हर हफ्ते NPA से जुड़े ताज़ा आंकड़े और विश्लेषण मिलते हैं। अभी हाल ही में RBI ने बताया कि मार्च 2025 तक सार्वजनिक सेक्टर बैंकों का कुल NPA 6.8% तक गिर गया, जबकि प्राइवेट बैंक अभी भी 4% के आसपास टिके हुए हैं। यह अंतर बताता है कि बड़े संस्थानों की रेस्क्यू योजनाएं काम कर रही हैं, लेकिन छोटे बैंकों को अभी और मदद चाहिए।
एक दिलचस्प केस स्टडी में हमने देखा कि एक मिड‑साइज़ टेक कंपनी ने अपने लोन को पुनर्गठित करने के बाद दो साल में अपना NPA स्तर 70% से घटाकर सिर्फ 10% कर दिया। यह दिखाता है कि सही रीस्ट्रक्चरिंग और प्रोफेशनल कलेक्शन टीम कितना फर्क डाल सकती है।
अगर आप निवेशक हैं तो NPA की रिपोर्ट पढ़कर किसी बैंक के शेयर खरीदने‑बेचने का फैसला जल्दी ले सकते हैं। आम तौर पर, कम NPA वाले बैंकों में दीर्घकालिक स्थिर रिटर्न मिलने की संभावना ज्यादा रहती है। लेकिन सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि उसके पीछे की वजहों को समझना ज़रूरी है—जैसे कि सेक्टर‑स्पेसिफ़िक जोखिम या प्रबंधन की क्षमता।
भविष्य में NPA के ट्रेंड को देखना भी जरूरी है। डिजिटल लोन प्लेटफ़ॉर्म और FinTech कंपनियों का बढ़ता दबाव पारंपरिक बैंकों को कड़े मानदंड अपनाने पर मजबूर कर रहा है, जिससे संभावित डिफॉल्ट कम हो सकते हैं। साथ ही, अगर सरकार नई MSME स्कीमें लागू करती है तो छोटे उद्यमों के पास अधिक पूंजी होगी और NPA की संभावना घटेगी।
समाचार विजेता पर आप NPA से जुड़ी विस्तृत रिपोर्ट, विशेषज्ञों की राय और हर महीने का विश्लेषण पा सकते हैं। हमारे साथ बने रहिए—ताकि आप अपने वित्तीय फैसलों में हमेशा एक कदम आगे रहें।