चीनि सैन्य अभ्यास की ताज़ा खबरें – क्या है असर?
हाल ही में चीन ने कई बड़े‑पैमाने के मिलिटरी ड्रिल किए हैं और ये पूरे विश्व की आँखों पर छाए हुए हैं। अगर आप भी जानना चाहते हैं कि इन अभ्यासों में क्या हुआ, क्यों हुआ और इसका हमारे देश तथा आसपास के देशों पर क्या असर पड़ सकता है, तो पढ़िए आगे.
अभ्यास के मुख्य पहलू
सबसे पहले बात करते हैं उन प्रमुख एक्टिविटीज़ की जो इस बार दिखीं। चीन ने उत्तर‑पश्चिमी सीमाओं में हाई‑स्पीड टैंक रॉलेक्स, एअर डिफेन्स मिसाइल टेस्ट और समुद्री पावर प्रोजेक्शन को मिलाया। इन ड्रिल्स का लक्ष्य तेज़ प्रतिक्रिया समय और मल्टी‑डोमेन ऑपरेशन दिखाना था।
टैंकों ने रेगिस्तानी इलाके में 300 km तक की दूरी को सिर्फ दो घंटे में तय किया, जिससे उनके लॉजिस्टिक सपोर्ट सिस्टम की क्षमता स्पष्ट हुई। एयर डिफेन्स टीमों ने नई रडार और सर्टेन‑एंटी‑रडार मिसाइलें लॉन्च कीं, जो दिखाती हैं कि चीन अब जमीनी और हवाई दोनों खतरों को एक साथ काबू कर सकता है। समुद्री अभ्यास में फ्लीट वॉरहाउस के बड़े जहाज़ों ने एंटी‑सबमराईन ऑपरेशन किया, जिससे भारत के पश्चिमी जल क्षेत्र पर नजर रखी जा रही है।
इन सबका सबसे बड़ा संदेश यह था कि चीन अपनी सैन्य शक्ति को एकीकृत करके तेज़ और सटीक कार्रवाई कर सकता है। अगर आप इसको देखें तो समझेंगे कि उनका फोकस सिर्फ दिखावा नहीं, बल्कि वास्तविक ऑपरेशनल क्षमता का परीक्षण है.
वैश्विक असर और भारत की स्थिति
अब बात करते हैं इन अभ्यासों के अंतरराष्ट्रीय प्रभाव की। अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने तुरंत इस पर टिप्पणी की और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए चिंता जताई। विशेष रूप से दक्षिण‑चीन सागर में नौसेना गतिविधियों को लेकर कई देशों ने अपने समुद्री सुरक्षा उपाय बढ़ाए हैं। यह संकेत देता है कि चीन का बल दिखाने वाला रवैया कुछ देशों को सतर्क कर रहा है.
भारत की स्थिति भी खासा जटिल है। हमारे पास पहले से ही चीन के साथ सीमा पर तनाव बना हुआ है, और अब अगर वे समुद्री शक्ति भी बढ़ाते हैं तो भारतीय नौसेना को अपनी रणनीति दोबारा देखनी पड़ेगी। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत को अपने एंटी‑एयरक्राफ्ट सिस्टम को अपग्रेड करना चाहिए और फास्ट रिफ्यूलिंग क्षमताओं पर काम करना चाहिए, ताकि किसी भी अचानक स्थिति में प्रतिक्रिया समय कम हो.
साथ ही कूटनीति का रोल भी बढ़ेगा। भारत को चीन के साथ संवाद जारी रखते हुए शांति बनाए रखने की कोशिश करनी होगी, क्योंकि सैन्य शक्ति दिखाने से असल में आर्थिक और राजनीतिक रिश्तों पर असर पड़ता है. इसलिए हम देखते हैं कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक समझौते और सुरक्षा वार्ताओं का संतुलन बनाना जरूरी होगा.
संक्षेप में कहें तो चीन के इस बड़े‑पैमाने के अभ्यास ने न सिर्फ उसकी मिलिटरी क्षमता को उजागर किया, बल्कि एशिया‑प्रशांत क्षेत्र की सैक्योरिटी डायनेमिक्स को भी बदल दिया है. अगर आप इस विषय पर और गहरी जानकारी चाहते हैं तो हमारे आगे के लेखों में देखें कि कैसे भारत अपनी डिफेंस रणनीति को पुनः आकार दे रहा है।