ताइवान के पास चीन ने शुरू किया 'जॉइंट स्वॉर्ड-2024ए' सैन्य अभ्यास

चीन ने ताइवान के पास दो-दिवसीय सैन्य अभ्यास 'जॉइंट स्वॉर्ड-2024ए' शुरू किया है। यह अभ्यास ताईवान की स्वतंत्रता का समर्थन करने वालों को एक मजबूत चेतावनी देने का प्रयास है। अभ्यास का प्रारंभ गुरुवार को सुबह 7:45 बजे हुआ, जिसमें चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने हिस्सा लिया। PLA का ईस्टर्न थिएटर कमांड इस अभ्यास का संचालन कर रहा है और इसमें ताइवान स्ट्रेट, ताइवान के उत्तरी, दक्षिणी, और पूर्वी हिस्सों के साथ-साथ आसपास के कई द्वीपों को शामिल किया गया है।

चीन ने इस अभ्यास के दौरान छह प्रमुख हथियार प्रणालियों के मानचित्र और पोस्टर जारी किए हैं। इनमें लड़ाकू विमान, विध्वंसक, उभयचर ट्रांसपोर्ट डॉक, बैलिस्टिक मिसाइल, और बहु-रॉकेट लॉन्च प्रणाली शामिल हैं। यह सारी गतिविधियाँ ताइवान को घेरने और उसकी स्वतंत्रता के समर्थकों को स्पष्ट संदेश देने के उद्देश्य से हो रही हैं।

ताइवान की प्रतिक्रिया और रक्षा तैयारी

इस सैन्य अभ्यास के जवाब में ताइवान के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। ताइवान ने इस अभ्यास की निंदा की है और इसे क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए खतरा बताया है। ताइवान ने जोर देकर कहा है कि उसकी सेना, जो रिपब्लिक ऑफ चाइना (ROC) सशस्त्र बलों के नाम से जानी जाती है, ताइवान की रक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार है। यह पहली बार नहीं है जब चीन ने ऐसे अभ्यास किए हैं, और ताइवान ने हमेशा चीन के इन हरकतों का समान कड़ा जवाब दिया है।

ताइवानी सेना ने अभ्यास के संबंध में कहा कि वह हर समय चौकस और सतर्क है और किसी भी आक्रमण का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है। ताइवान ने वैश्विक समुदाय से आग्रह किया है कि वह इस अभ्यास के प्रभावों पर ध्यान दे और क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रखने के लिए समर्थन प्रदान करे। ताइवानी अधिकारियों ने यह भी कहा है कि चीन के इस तरह के सैन्य अभ्यास उसकी रक्षा स्वायत्तता और नागरिक स्वतंत्रता को कमजोर करने की कोशिश हैं।

फिलीपीन सागर में अमेरिकी नौसैनिक गतिविधियाँ

इस बीच, अमेरिकी नौसेना का विमानवाहक पोत यूएसएस रोनाल्ड रीगन फिलीपीन सागर में तैनात है। यह पोत 16 मई को योकोसुका से रवाना हुआ था। रोनाल्ड रीगन के साथ क्रूजर यूएसएस रॉबर्ट स्मॉल्स और विध्वंसक यूएसएस होवर्ड भी थे। अमेरिकी नौसेना ने गुरुवार को यूएसएनएस जॉन एरिक्सन और ड्राई कार्गो शिप यूएसएनएस चार्ल्स ड्रू के साथ समुद्र में पुनः पूर्ति का संचालन भी किया।

इस ऑपरेशन की महत्वपूर्ण बात यह है कि अमेरिकी नौसेना क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को मजबूत कर रही है और अपने सहयोगियों के साथ संचार और समन्वय को बढ़ा रही है। अमेरिका और ताइवान के बीच के गहरे संबंधों को देखते हुए, इस तरह के ऑपरेशन ताइवान के लिए सुरक्षा की एक दृढ़ आश्वासन के रूप में भी देखा जा सकता है।

दक्षिण चीन सागर में संयुक्त नौसैनिक अभ्यास

अमेरिकी नौसेना और रॉयल नीदरलैंड्स नौसेना ने भी बुधवार को दक्षिण चीन सागर में संयुक्त अभ्यास किया। इस अभ्यास में लिटोरल कॉम्बैट शिप यूएसएस मोबाइल, ड्राई कार्गो शिप यूएसएनएस वॉली शिर्रा और रॉयल नीदरलैंड्स नौसेना का फ्रीगेट एचएनएलएमएस ट्रॉमप शामिल थे। यह प्रकार के अभ्यास सहयोगी देशों के साथ समुद्री सुरक्षा और युद्धक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए किए जाते हैं।

इस संयुक्त अभ्यास का भी यही मकसद था कि दोनों देशों की नौसेनाएं एक-दूसरे के साथ संचार और सहयोग को बढ़ा सकें। इससे समुद्री कानून और आदेश को बनाए रखने में मदद मिलेगी और क्षेत्र में शांति और स्थायित्व को मजबूत किया जाएगा। यह सागर के महत्वपूर्ण शिपिंग लेन की सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी सहायक होगा, जो दुनिया के कई हिस्सों की आर्थिक गतिशीलता के लिए जरूरी है।

क्षेत्रीय और वैश्विक दृष्टिकोण

क्षेत्रीय और वैश्विक दृष्टिकोण

चीन और अमेरिका के बीच जारी यह तनाव न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक स्तर पर भी असर डाल रहा है। चीन का दावा है कि ताइवान उसका हिस्सा है, लेकिन ताइवान हमेशा से ही खुद को एक स्वतंत्र देश के रूप में देखता है। यह संघर्ष अक्सर दोनों देशों के बीच टकराव का कारण बनता है।

दूसरी तरफ, अमेरिका ने हमेशा ताइवान को अपने समर्थन का बयान किया है। अमेरिका और चीन के बीच की यह खींचतान वैश्विक राजनीति पर भी प्रभाव डाल रही है। इसे केवल दोनों देशों के बीच का मसला नहीं समझा जा सकता, बल्कि यह विश्व के अन्य देशों की भी चिंता का विषय है। चीन का आक्रामक रुख और अमेरिका का दृढ़ समर्थन इस संघर्ष को और भी जटिल बनाता जा रहा है।

भविष्य के परिदृश्य

भविष्य में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस संघर्ष का क्या परिणाम होता है। ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन करने वाले देश और चीन के बीच उत्पन्न हो रहे यह तनाव वैश्विक स्थिरता के लिए खतरा बन सकते हैं। चीन की तरफ से ताइवान के प्रति बढ़ते दबाव का मुकाबला करने के लिए अमेरिका और उसके सहयोगियों के पक्ष में खड़ा होना महत्वपूर्ण है।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस मुद्दे पर विचार करना चाहिए और स्थिति को स्थिर बनाने के लिए संकल्पित प्रयास करने चाहिए। इस संघर्ष का हल शांतिपूर्ण और समझदारी के साथ निकलना चाहिए ताकि सभी पक्षों की सुरक्षा और स्थिरता बनी रहे।