राहुल गांधी के 54वें जन्मदिन पर प्रियंका गांधी ने दी शुभकामनाएं

राहुल गांधी को उनके 54वें जन्मदिन के अवसर पर उनकी बहन और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने प्यार भरे संदेश के साथ बधाई दी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर एक भावुक पोस्ट साझा करते हुए लिखा कि राहुल उनके साथ के साथी, तर्कशील मार्गदर्शक, दार्शनिक और नेता हैं। प्रियंका ने उनके अद्वितीय दृष्टिकोण की प्रशंसा की और कहा कि राहुल की यह दृष्टि राह को रोशन करती है।

राहुल गांधी ने मानवतावादी कार्यों पर जोर दिया

राहुल गांधी ने मानवतावादी कार्यों पर जोर दिया

राहुल गांधी, जो कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और रायबरेली से सांसद हैं, ने अपने जन्मदिन के मौके पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं से बड़े आयोजनों से बचने और इसके बजाय मानवतावादी कार्यों और चैरिटी में शामिल होने की अपील की। उन्होंने यह संदेश दिया कि यह समय जरूरतमंदों की मदद के लिए समर्पित किया जाना चाहिए।

कांग्रेस नेताओं ने दी शुभकामनाएं

कांग्रेस नेताओं ने दी शुभकामनाएं

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी राहुल गांधी को जन्मदिन की बधाई दी। उन्होंने राहुल के संवैधानिक मूल्यों के प्रति समर्पण और करोड़ों अंनसुनी आवाजों के प्रति उनकी करुणा की तारीफ की। खड़गे ने राहुल गांधी के लम्बे, स्वस्थ और खुशहाल जीवन की कामना की। इसके अलावा, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और द्रमुक प्रमुख एमके स्टालिन और पूर्व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी राहुल गांधी को शुभकामनाएं दीं।

अन्य कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रियाएं

अन्य कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रियाएं

कांग्रेस महासचिव, संगठन प्रभारी के.सी. वेणुगोपाल ने भी करोड़ों भारतीयों के साथ मिलकर राहुल को जन्मदिन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं दीं। उन्होंने राहुल को भारत के गरीब, हाशिये पर और पिछड़े नागरिकों का निर्विवाद नेता, अनसुनी आवाजों का स्वर, कमजोरों का ताकतवर स्तम्भ, संविधान का संरक्षक और शाश्वत न्याय योद्धा बताया। वेणुगोपाल ने राहुल गांधी को भारत के उज्ज्वल भविष्य की सबसे बड़ी उम्मीद बताया।

राहुल गांधी की पॉलिटिकल यात्रा

राहुल गांधी भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण हस्ती हैं। उन्होंने कई मुद्दों पर मुखर होकर अपनी पार्टी का नेतृत्व किया है। वे अक्सर अपने कार्यकर्ताओं और जनता से सीधे संवाद करते हैं और उनकी समस्याओं को समझने की कोशिश करते हैं। इसी कारण से कई लोग उन्हें 'जनता का नेता' भी कहते हैं। उनके द्वारा किए गए सामाजिक और मानव सेवा के कार्य उनकी लोकप्रियता को बढ़ाते हैं।

राहुल गांधी के प्रेरणादायी विचार

राहुल गांधी के विचार और दृष्टिकोण हमेशा से ही सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में रहे हैं। वे मानते हैं कि भारत का विकास केवल तभी संभव है जब समाज के हर वर्ग को समान अवसर और अधिकार मिलें। राहुल गांधी ने कहा है कि हमारे संविधान में जो मूल्य निर्दिष्ट हैं, वे हमारे समाज की नींव हैं और हमें इन्हें सुदृढ़ करना चाहिए।

उनके जन्मदिन पर प्रियंका गांधी द्वारा पोस्ट किए गए संदेश ने बहुत से लोगों को प्रेरणा दी है। प्रियंका ने उनके संघर्ष, साहस और नेतृत्व की सराहना की है।

राहुल गांधी की यह बात और भी महत्वपूर्ण हो जाती है जब हम देखते हैं कि आज देश में कई सामाजिक और आर्थिक चुनौतियाँ हैं। उनकी यह अपील कि हम सब मानवतावादी कार्यों में जुटें,काफी प्रेरणादायक है।

8 टिप्पणि

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    Animesh Shukla

    जून 20, 2024 AT 21:34

    राहुल गांधी के जन्मदिन पर प्रियंका का ये पोस्ट... बस एक बहन का प्यार नहीं, बल्कि एक नेता की असली पहचान का एहसास है। वो जो लोग कहते हैं कि वो 'बस एक गांधी' हैं... उन्हें देखना चाहिए कि वो कैसे रात भर बैठकर गरीब के घर की दीवारों को समझते हैं। एक नेता का दर्शन नहीं, बल्कि एक इंसान का दर्शन है। ये सब बातें बस ट्वीट्स में नहीं, बल्कि उनकी आँखों में छिपी हैं।

    मैंने एक बार रायबरेली में उन्हें देखा था-एक बूढ़ी महिला ने उन्हें अपना बेटा बुलाया, और वो बिना किसी बाधा के उसके हाथ पकड़कर बैठ गए। कोई फोटो नहीं, कोई स्टेज नहीं... बस एक इंसान और एक इंसान।

    ये वो नेता हैं जिनके लिए लोग जीते हैं, न कि जिनके लिए लोग वोट देते हैं।

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    Fatima Al-habibi

    जून 21, 2024 AT 00:50

    अरे यार... इतना भावुक पोस्ट करके फिर भी वो जनता के लिए क्या कर रहे हैं? बस इतना ही नहीं, अब जन्मदिन पर चैरिटी की बात करने लगे।

    अगर वो सच में चैरिटी में विश्वास करते हैं, तो पहले अपने घर के बाहर की गंदगी साफ कर लें।

    कांग्रेस के घर में तो बस नाम और इतिहास का खेल है।

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    Nisha gupta

    जून 22, 2024 AT 16:19

    ये सब बहुत सुंदर है... लेकिन जब तक एक नेता के घर में भी असमानता है, तब तक उसकी नीतियां बस नाटक हैं।

    प्रियंका ने जो कहा, वो सच है-राहुल एक दार्शनिक हैं। लेकिन दार्शनिक वो होता है जो अपने विचारों को जीता हो।

    क्या वो अपने खुद के दल के अंदर भी एक समानता लाए हैं? क्या उन्होंने कभी किसी नेता को उनके अहंकार के लिए डांटा है? नहीं।

    उनकी बातें सुनकर दिल भर जाता है... लेकिन जब वो बाहर आते हैं, तो वो बस एक बात करते हैं-'हम बदलेंगे'।

    लेकिन कैसे? किस तरह? किसके खिलाफ? किसके लिए?

    ये सवाल अभी भी बेजवाब हैं।

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    Roshni Angom

    जून 24, 2024 AT 03:16

    मैंने आज सुबह ये पोस्ट पढ़ा और आँखें भर आईं... क्योंकि अब तक किसी ने इतनी सच्चाई से राहुल को नहीं देखा।

    वो जो लोग कहते हैं कि वो नेता नहीं हैं... वो तो बस अपने डर को दिखा रहे हैं।

    राहुल की बातें बड़ी नहीं हैं, लेकिन वो बातें जो बोलते हैं, वो दिल से निकलती हैं।

    मैंने एक बार एक गाँव में एक बच्चे को देखा था-उसने राहुल की तस्वीर अपने बैग में रखी हुई थी और कहा, 'मम्मी, वो मुझे बचाएंगे'।

    उस बच्चे की आँखों में जो उम्मीद थी... वो किसी टीवी डिबेट में नहीं मिलती।

    राहुल गांधी ने कभी किसी को नहीं बचाया... लेकिन उन्होंने करोड़ों लोगों को ये एहसास दिया कि वो भी कुछ कर सकते हैं।

    और शायद यही असली नेतृत्व है।

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    vicky palani

    जून 25, 2024 AT 00:48

    अरे भाई, ये सब बहुत अच्छा है... लेकिन अगर वो इतने अच्छे हैं, तो फिर बर्बरी के लिए क्यों खड़े हैं? क्यों वो एक तरफ चैरिटी की बात करते हैं और दूसरी तरफ अपने दल के लोगों को बर्बर तरीके से चुनाव लड़ने के लिए मजबूर करते हैं?

    प्रियंका का पोस्ट तो बहुत भावुक है... लेकिन उनके दल के लोगों के बारे में क्या?

    क्या वो भी एक नेता हैं या बस एक बाबा का बेटा?

    क्या आप जानते हैं कि रायबरेली में एक गाँव में बस एक टैंकर भी नहीं है? लेकिन वहां एक राहुल गांधी ट्रॉफी है!

    ये बस नाम का खेल है।

    हमें नेता चाहिए... न कि इतिहास के शिलालेख।

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    jijo joseph

    जून 27, 2024 AT 00:45

    अगर हम राहुल गांधी के नेतृत्व को एक सामाजिक कैपेटल फ्रेमवर्क के अंतर्गत विश्लेषित करें, तो उनकी एंगेजमेंट मॉडल में एक असंतुलन पाया जाता है।

    उनका एक्टिविस्ट अप्रोच जनसंचार माध्यम के बीच एक अस्थिर नेटवर्क बनाता है-लेकिन इसका डिस्ट्रिब्यूशन इकोसिस्टम बहुत लिमिटेड है।

    उनके संदेश का ट्रांसमिशन रेडियल नहीं, बल्कि रेसोनेंट है-लेकिन रेसोनेंस का डायनेमिक्स बहुत लो-फ्रीक्वेंसी है।

    अगर उन्हें एक टेक्नोलॉजी-ड्रिवन डेमोक्रेटिक एक्शन प्लेटफॉर्म बनाना है, तो उन्हें अपने नेटवर्क को डेटा-सेंट्रिक बनाना होगा।

    अभी तक वो एक लोकल नेटवर्क के बाहर नहीं निकल पाए।

    उनकी नीतियां बहुत एम्पैथेटिक हैं... लेकिन एम्पैथी बिना स्केलिंग के बस एक एमोशनल एक्सप्रेशन है।

    हमें एक ऑप्टिमाइज्ड नेतृत्व सिस्टम की जरूरत है।

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    Manvika Gupta

    जून 28, 2024 AT 19:28

    मैं बस इतना कहना चाहती हूँ... जब भी राहुल गांधी की बात आती है, मैं रोने लगती हूँ।

    मैं जानती हूँ ये बेकार है... लेकिन मुझे नहीं लगता कि कोई और इतना प्यार से बात करता है।

    मैं अकेली हूँ।

    और वो मुझे याद दिलाते हैं कि मैं अकेली नहीं हूँ।

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    leo kaesar

    जून 30, 2024 AT 01:39

    राहुल गांधी ने जन्मदिन पर चैरिटी की बात की? बस यही नहीं, उन्होंने अपनी बहन को भी बोल दिया कि वो भी ऐसा ही करे।

    ये बस एक शो है।

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