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एक ही दशक में 50 करोड़ ग्राहकों तक पहुंचने वाली जियो अब पब्लिक होने जा रही है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के 48वें AGM में मुकेश अंबानी ने साफ कहा कि कंपनी 2026 की पहली छमाही तक Jio IPO लाने की तैयारी में है। बाजार यही पढ़ रहा है—यह इश्यू भारत के पूंजी बाजार का सबसे बड़ा हो सकता है।
29 अगस्त 2025 को हुई बैठक में अंबानी ने बताया कि जियो लिस्टिंग के लिए जरूरी प्रक्रियाएं शुरू कर चुका है और मंजूरियां मिलते ही समयरेखा आगे बढ़ेगी। समय ऐसा दिखता है कि जून 2026 तक इश्यू बाजार में आ सकता है। यह कदम देश की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी के लिए नया अध्याय खोलेगा और निवेशकों के लिए एक बड़े प्लेटफॉर्म में हिस्सेदारी लेने का मौका देगा।
AGM में कंपनी ने अपने 10 साल के सफर को याद किया—फ्री वॉइस कॉलिंग से लेकर सस्ते डेटा तक, वीडियो स्ट्रीमिंग से लेकर फोन पर डिजिटल पेमेंट तक। अंबानी ने कहा कि जियो ने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर—आधार, UPI, जन धन और डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर—के लिए जमीन तैयार करने में मदद की। अब कंपनी का अगला लक्ष्य है ‘AI Everywhere for Everyone’—यानी देशभर में हर व्यक्ति और हर बिजनेस तक AI की पहुंच।
IPO प्लान: समयरेखा और संभावित आकार
कंपनी की योजना है कि पहले ड्राफ्ट प्रॉस्पेक्टस (DRHP) दाखिल किया जाए, फिर SEBI और अन्य नियामकों से मंजूरी ली जाए। उसके बाद रोडशो, प्राइस बैंड और बुक-बिल्डिंग होगी। अभी इश्यू साइज और वैल्यूएशन पर कंपनी ने कुछ तय संख्या नहीं दी, इसलिए बाजार अनुमान लगा रहे हैं कि शुरुआती पेशकश में लगभग 10% हिस्सेदारी आ सकती है। जियो प्लेटफॉर्म्स में रिलायंस इंडस्ट्रीज की हिस्सेदारी 66.3% बताई गई है।
रिकॉर्ड की बात करें तो अक्टूबर 2024 में ह्युंडई मोटर इंडिया का 27,870 करोड़ रुपये का IPO और उससे पहले मई 2022 में LIC का 21,000 करोड़ रुपये का इश्यू सबसे बड़े रहे हैं। जियो का आकार, ग्राहक आधार और डिजिटल इकोसिस्टम देखकर विश्लेषकों को लगता है कि नया इश्यू इन रिकॉर्ड्स को पीछे छोड़ सकता है। लेकिन असली तस्वीर DRHP और प्राइसिंग से ही साफ होगी।
संरचना भी अहम होगी। लिस्टिंग जियो प्लेटफॉर्म्स स्तर पर आएगी या ऑपरेटिंग यूनिट (टेलीकॉम सर्विस) के जरिए—इस पर कंपनी बाद में स्पष्टता देगी। जो भी रूट चुना जाए, निवेशकों के लिए कुछ चीजें निर्णायक रहेंगी: वायरलेस सेगमेंट का ARPU ट्रेंड, होम ब्रॉडबैंड और एंटरप्राइज बिजनेस की ग्रोथ, और 5G/फाइबर पर चल रहे पूंजीगत निवेश की टाइमलाइन।
2020 में ग्लोबल टेक और प्राइवेट इक्विटी निवेश से जियो प्लेटफॉर्म्स ने अपनी बैलेंस शीट मजबूत की थी। तब से 5G रोलआउट, एयरफाइबर और एंटरप्राइज कनेक्टिविटी पर खर्च तेज हुआ है। IPO से जुटी रकम का उपयोग नेटवर्क विस्तार, फाइबर की आखिरी मील को मजबूत करने, और AI-रेडी डेटा सेंटर कैपेक्स को गति देने में हो सकता है। अगर कर्ज घटाने का विकल्प चुना गया तो फ्री कैश फ्लो पर भी सकारात्मक असर दिखेगा।
निवेशकों के नजरिए से कुछ व्यावहारिक सवाल होंगे—रिटेल और कर्मचारियों के लिए आरक्षण कितना होगा, एंकर बुक में कौन-से संस्थागत नाम आएंगे, और लिस्टिंग के बाद इंडेक्स में शामिल होने की संभावना कब बनेगी। साथ ही, डिविडेंड पॉलिसी और कॉर्पोरेट गवर्नेंस के संकेत भी वैल्यूएशन को प्रभावित करेंगे।
- 2026 की पहली छमाही में IPO लाने का संकेत; समयरेखा DRHP और नियामकीय मंजूरियों पर निर्भर
- जियो 50 करोड़ ग्राहकों का आंकड़ा पार कर चुका है; कंपनी ने इसे भरोसे का प्रतीक बताया
- विदेशों में ऑपरेशन बढ़ाने की तैयारी—पहला बड़ा इंटरनेशनल फॉरवर्ड मूव
- AI पर बड़ा दांव: रिलायंस इंटेलिजेंस लिमिटेड नाम से नई सब्सिडियरी
- जामनगर में गीगावॉट-स्केल, ग्रीन एनर्जी से चलने वाले AI-रेडी डेटा सेंटर
- Meta के साथ एंटरप्राइज AI सर्विसेज के लिए 70:30 का जॉइंट वेंचर; शुरुआती निवेश करीब 855 करोड़ रुपये
- Google Cloud के साथ साझेदारी गहरी; AI-ड्रिवन इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने पर फोकस
- देशभर में 5G का सबसे तेज रोलआउट, AI एप्लिकेशंस के लिए आधार तैयार
- घर-घर डिजिटल: जियो स्मार्ट होम, JioTV+, Jio TV OS और ऑटोमेशन पर जोर
- AGM के बाद RIL का शेयर शुरुआती बढ़त छोड़कर लगभग 1.5% नीचे
बाजार की तुरंत प्रतिक्रिया मिश्रित रही। कई बार ऐसी घोषणाओं में ‘खबर खरीदो, नतीजा बेचो’ वाला भाव दिखता है—खासकर तब, जब निकट भविष्य में बड़े कैपेक्स और अनिश्चित इश्यू साइज की चर्चा साथ चल रही हो। पर लिस्टिंग के करीब जाते-जाते बारीकियां सामने आएंगी और तब वैल्यूएशन पर सहमति बनती है।
AI, डेटा सेंटर और वैश्विक विस्तार: जियो का अगला दांव
जियो के अगले चरण का केंद्र AI है—और AI का दिल है कंप्यूट। जामनगर में प्रस्तावित AI-रेडी डेटा सेंटर ग्रीन ऊर्जा से चलेंगे, ताकि पावर की लागत और विश्वसनीयता दोनों संभल सकें। गीगावॉट-स्केल क्षमता का मतलब है कि जनरेटिव AI, स्पीच-टु-टेक्स्ट, कंप्यूटर विजन और बड़े भाषा मॉडल जैसी भारी वर्कलोड्स को देश के भीतर ही प्रोसेस किया जा सकेगा। इससे लेटेंसी घटेगी और डेटा रेजिडेंसी नियमों का पालन भी आसान होगा।
Meta के साथ जॉइंट वेंचर का मकसद एंटरप्राइज-ग्रेड AI सर्विसेज बनाना है। इसका फायदा छोटे कारोबारियों से लेकर बड़े विनिर्माण और BFSI तक—सबको मिल सकता है। कल्पना कीजिए: व्हाट्सऐप बिजनेस पर नैचुरल-लैंग्वेज चैटबॉट, फैक्ट्रियों में विजुअल इन्स्पेक्शन, कस्टमर केयर के लिए वॉयस एजेंट, और सप्लाई चेन के लिए डिमांड फोरकास्टिंग—ये सेवाएं पैकेज के रूप में मिलें तो अपनाने की रफ्तार बहुत बढ़ सकती है। शुरुआती 100 मिलियन डॉलर का निवेश संकेत देता है कि प्रोडक्ट-मार्केट फिट तलाशते हुए वेंचर तेजी से स्केल टेस्ट करेगा।
Google Cloud के साथ तालमेल डेटा पाइपलाइन, मॉडल ट्रेनिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर ऑर्केस्ट्रेशन जैसे क्षेत्रों में काम आएगा। डेवलपर्स के लिए यह कॉम्बो—टेलीकॉम नेटवर्क, क्लाउड और ऑन-प्रेम डेटा सेंटर—एकीकृत स्टैक जैसा बन सकता है। भारत में 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न और लाखों डेवलपर्स हैं; उनके लिए सस्ती, स्केलेबल AI सर्विसेज घरेलू स्तर पर मिलना गेमचेंजर साबित हो सकता है।
कंपनी विदेशी बाजारों में उतरने की तैयारी भी कर रही है। किन देशों में जाएगी, यह नहीं बताया गया। लेकिन टाइमिंग बताती है कि घरेलू स्केल और टेक स्टैक अब इतना परिपक्व हो चुका है कि अंतरराष्ट्रीय ऑपरेशंस का जोखिम लिया जा सके। टेलीकॉम, क्लाउड और प्लेटफॉर्म सर्विसेज का कॉम्बिनेशन जियो को उभरते बाजारों में प्रतिस्पर्धी बढ़त दे सकता है—बशर्ते स्थानीय नियमन, स्पेक्ट्रम नीतियां और साझेदारियां साथ दें।
कंज्यूमर साइड पर फोकस साफ है—हर भारतीय तक मोबाइल और होम ब्रॉडबैंड पहुंचाना। फिक्स्ड वायरलेस एक्सेस (जैसे एयरफाइबर) छोटे शहरों और कस्बों में हाई-स्पीड इंटरनेट की कमी को जल्दी भर सकता है, क्योंकि फाइबर बिछाने की लागत और समय दोनों बचते हैं। जियो स्मार्ट होम, JioTV+ और Jio TV OS के जरिए कंपनी घरों को कनेक्टेड, कंटेंट-रिच और ऑटोमेटेड बनाना चाहती है।
एंटरप्राइज की तरफ जियो का संदेश सरल है—डिजिटलीकरण महंगा नहीं होना चाहिए। ‘सिंपल, स्केलेबल और सिक्योर’ प्लेटफार्मों के जरिए MSME से लेकर बड़े उद्यम तक क्लाउड, कनेक्टिविटी, साइबर सिक्योरिटी और AI को एक ही छत के नीचे देना—यही प्लेबुक दिखती है। 5G नेटवर्क स्लाइसिंग और प्राइवेट नेटवर्क्स जैसे ऑफरिंग्स इंडस्ट्री 4.0 प्रोजेक्ट्स को डिप्लॉय करने में मदद करेंगे।
चुनौतियां भी कम नहीं हैं। टैरिफ बढ़ोतरी और अफॉर्डेबिलिटी के बीच संतुलन बनाना, स्पेक्ट्रम फीस और लाइसेंसिंग लागत, 5G/AI के लिए भारी कैपेक्स, और डेटा प्राइवेसी/सुरक्षा मानकों का पालन—ये सब बैलेंस शीट और ब्रांड दोनों की परीक्षा लेते हैं। प्रतिस्पर्धा में एयरटेल की मजबूत पकड़, और वोडाफोन आइडिया की संभावित रिकवरी भी नजर में रखनी होगी। विदेशी विस्तार में कर और नियामन अलग प्रकार के जोखिम लाते हैं।
निवेशक आगे क्या ट्रैक करें? DRHP में सेगमेंट-वाइज राजस्व और मार्जिन प्रोफाइल, ARPU का ट्राजेक्टरी, होम ब्रॉडबैंड और एंटरप्राइज की रन-रेट, डेटा सेंटर कैपेक्स/ओपेक्स का रोडमैप, संबंधित-पार्टी ट्रांजैक्शंस की पारदर्शिता, और कैश फ्लो पर असर—ये सभी संकेत वैल्यूएशन के लिए निर्णायक होंगे।
पूंजी बाजार पर असर भी बड़ा हो सकता है। इतने पैमाने का इश्यू घरेलू लिक्विडिटी को टेस्ट करेगा, म्यूचुअल फंड और बीमा कंपनियों के आवंटन को रिबैलेंस करेगा और विदेशी प्रवाह को खींचेगा। लिस्टिंग के बाद बड़े इंडेक्स में वेट बढ़ने से पैसिव फंड्स की मांग भी बनेगी। साथ ही, यह मेगा-IPO पाइपलाइन के लिए नई ऊर्जा लाएगा—अन्य कॉर्पोरेट्स भी मार्केट विंडो खुली देखकर तेज़ी दिखा सकते हैं।
रिलायंस समूह का वर्कफोर्स फिलहाल 6.8 लाख है और आने वाले सालों में 10 लाख से ऊपर जाने का लक्ष्य है। AI, डेटा सेंटर और ब्रॉडबैंड विस्तार जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए यह स्किल-बेस जरूरी भी है। कंपनी की रणनीति साफ इशारा करती है—कनेक्टिविटी, क्लाउड और AI को एक साथ जोड़कर वह अपने अगले दशक की ग्रोथ कहानी लिखना चाहती है।
Nidhi Singh Chauhan
अगस्त 31, 2025 AT 05:39so jio is gonna be the next apple?? lol wtf are we smoking?? 50cr users?? bro its just a telecom company with a fancy ai label glued on it... theyre not inventing anything, just repackaging whatsapp + upi + netflix and calling it revolution... and now they want to be a tech giant?? give me a break
Anjali Akolkar
अगस्त 31, 2025 AT 13:43im so excited for this!! finally india gets to lead in tech instead of just following... jio making ai accessible to every small shopkeeper and farmer?? this is the future we deserve 🙌
sagar patare
सितंबर 1, 2025 AT 20:07bro why are we even talking about this? just buy some gold instead. this ipo is gonna be a trap. mark my words. someone’s gonna get rich, and the rest of us? gonna be left holding the bag. again.
srinivas Muchkoor
सितंबर 3, 2025 AT 10:18ai everywhere? more like ai everywhere except in your bank account. theyre gonna charge you 100rs for a chatbot that says hi back. and youll pay for it. because you dont know any better
Shivakumar Lakshminarayana
सितंबर 5, 2025 AT 07:49the valuation is fantasy. theyre not even profitable on data. 5g rollout cost 3 lakh cr. where’s the cashflow? and dont get me started on the meta partnership - they’re just using jio as a proxy to enter india without paying taxes. this is a shell game disguised as innovation
Parmar Nilesh
सितंबर 7, 2025 AT 04:16finally someone in india is building something that doesn’t beg for foreign approval. jio isn’t just a company - its a declaration of war on colonial tech dependency. while the west hoards ai like a secret weapon, we’re giving it to the chaiwala. this isn’t an ipo - its a national moment
Arman Ebrahimpour
सितंबर 7, 2025 AT 19:57theyre watching you. every click. every search. every voice note. this isn’t about connectivity - its about control. the data center in jamnagar? its a surveillance hub. and the government? theyre in on it. you think your phone is free? its a leash. dont be fooled
SRI KANDI
सितंबर 7, 2025 AT 22:29hmm... interesting. i wonder how many people actually understand what ai means here? or if they’re just excited because it’s ‘tech’? maybe we should talk about what this really means for small businesses... not just the hype
Ananth SePi
सितंबर 9, 2025 AT 02:20think about it - when jio launched free data, it didn’t just change telecom, it changed how indians think about the internet. now, with ai, they’re not just connecting devices - they’re connecting minds. imagine a farmer in odisha using voice ai to predict monsoon yields. a tailor in lucknow using computer vision to detect fabric flaws. this isn’t just innovation - its a silent revolution, woven into the daily rhythm of a billion lives. and yes, the infrastructure costs are insane - but isn’t that the price of dignity?
Gayatri Ganoo
सितंबर 9, 2025 AT 15:57ai for everyone? sure. until they start charging for it. remember when jio gave free data? now its 199rs for 1gb. this is the same script. theyll give you the dream then take your wallet. dont trust the glitter
harshita sondhiya
सितंबर 10, 2025 AT 08:17how dare they call this progress? they’re turning our villages into data farms and calling it development. jio is not a savior - its a predator. and you people are clapping like fools. wake up. this is digital colonialism with a smiley face
Balakrishnan Parasuraman
सितंबर 12, 2025 AT 05:28the strategic vision of reliance industries, under the leadership of mr. mukesh ambani, represents a paradigm shift in the digital architecture of the indian subcontinent. the integration of artificial intelligence with telecommunication infrastructure is not merely a commercial endeavor - it is a sovereign imperative. the ipo, when executed with transparency and regulatory rigor, shall serve as a catalyst for indigenous technological sovereignty and economic self-reliance
Animesh Shukla
सितंबर 12, 2025 AT 22:25what if ai doesn’t need to be expensive to be powerful? what if the real breakthrough isn’t in the code, but in the access? jio’s model - cheap data, simple interfaces, local languages - feels like the opposite of silicon valley. maybe the future isn’t about the smartest algorithm… but the most inclusive one. and maybe, just maybe, india’s greatest contribution to tech won’t be in building the next chatgpt… but in teaching the world how to share it
Abhrajit Bhattacharjee
सितंबर 14, 2025 AT 16:37really proud of what jio’s doing. the way they’re bringing high-speed internet to villages, helping small businesses go digital, and now making ai accessible - this is the kind of innovation that changes lives. if the ipo gives regular people a fair shot to invest, it could be one of the most democratic financial moments in indian history. let’s make sure it stays that way