धर्मा का नया दांव: ‘होमबाउंड’ किस कहानी की ओर इशारा करती है

रिपोर्ट: सागर

धर्मा प्रोडक्शंस ने 17 सितंबर 2025 को ‘होमबाउंड’ का ट्रेलर जारी किया और इंडस्ट्री में एक नई चर्चा शुरू हो गई। नीरज घैवान के निर्देशन में बनी यह फिल्म एक सच्ची कहानी से प्रेरित बताई गई है। कहानी का केंद्र दो बचपन के दोस्त हैं, जो उत्तर भारत के एक छोटे गांव से निकलकर पुलिस की नौकरी के सपने के पीछे भागते हैं—उस इज्जत के लिए, जो उनसे बरसों से छिनती रही है।

कास्ट सीधी और मजबूत है—इशान खट्टर, विशाल जेठवा और जान्हवी कपूर। तीनों की पिछली फिल्मों ने उन्हें अलग-अलग तरह की पहचान दी है। इशान ‘धड़क’ से लेकर ‘A Suitable Boy’ तक अपनी रेंज दिखा चुके हैं। विशाल जेठवा ‘मर्दानी 2’ में खतरनाक विलेन के तौर पर याद किए जाते हैं, और उसके बाद भी उन्होंने कई किरदारों में वजन रखा। जान्हवी ने ‘गुंजन सक्सेना’ और ‘मिस्टर एंड मिसेज़ माही’ जैसे प्रोजेक्ट्स से साबित किया कि वे सिर्फ ग्लैमर तक सीमित नहीं हैं। यह तिकड़ी, घैवान के यथार्थवादी टच के साथ, एक जमीन से जुड़ी कहानी को आगे बढ़ाने के लिए सही लगती है।

नीरज घैवान की पहचान सादगी में तीखापन दिखाने की है। ‘मसान’ में उन्होंने छोटे शहरों की भावनाएं और असमानताएं बिना नाटकीयता के पकड़ी थीं। ‘अजीब दास्तान्स’ के ‘गीली पुच्‍ची’ में पहचान और सम्मान की परतें बहुत सधे तरीके से सामने आईं। इसी रुझान को देखते हुए ‘होमबाउंड’ से भी उम्मीद है कि फिल्म दोस्ती, महत्वाकांक्षा और सामाजिक इज्जत के रिश्ते को बिना उपदेश दिए, बारीकी से खोलेगी।

भारत में सरकारी नौकरी, खासकर पुलिस और प्रशासनिक सेवाएं, सिर्फ वेतन का मुद्दा नहीं होतीं। छोटे शहरों और गांवों में यह इज्जत, सुरक्षा और पहचान का दूसरा नाम है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी से लेकर भर्ती तक का रास्ता लंबा और थकाऊ होता है—कभी सिस्टम की जटिलताएं, कभी संसाधनों की कमी, कभी सामाजिक दबाव। ‘होमबाउंड’ का फोकस इसी मोड़ पर है: दो दोस्तों की साझी लड़ाई, जहां नौकरी सिर्फ नौकरी नहीं, अपने लिए और घर वालों के लिए ‘इंसाफ’ जैसा अहसास है।

धर्मा प्रोडक्शंस का यह चुनाव भी ध्यान खींचता है। यह बैनर बड़े पैमाने के, स्टार-ड्रिवन सिनेमा के लिए जाना जाता है, लेकिन पिछले कुछ सालों में उसने रियल और रूटेड कहानियों की तरफ भी कदम बढ़ाए हैं। नीरज घैवान जैसा निर्देशक जोड़कर ‘होमबाउंड’ उस क्रॉसओवर स्पेस में आता है, जहां मेनस्ट्रीम और मिड-स्केल, दोनों की ताकत दिख सकती है—असली लोकेशंस का एहसास, और प्रोडक्शन वैल्यू की चमक।

ट्रेलर का टोन गंभीर है। यह किसी बड़े तमाशे से ज्यादा, भीतर से हिलाने वाली यात्रा का इशारा देता है। दोस्ती की केमिस्ट्री, परीक्षा और प्रशिक्षण जैसी रुटीन चीजें, और गांव-शहर के बीच का फासला—ये सब उस एक बड़े सवाल से जुड़ते हैं: क्या नौकरी इज्जत दिलाती है, या इज्जत के लिए पहले रास्ता साफ करना पड़ता है? ट्रेलर यह भरोसा जगाता है कि फिल्म भावनाओं के साथ सिस्टम को भी समझने की कोशिश करेगी।

कास्टिंग के लिहाज से, इशान और विशाल जैसे उभरते कलाकारों के सामने जान्हवी का रोल दिलचस्प होगा। क्या वह सिर्फ सपोर्ट में हैं या कहानी का टर्निंग प्वाइंट वही बनेंगी—यह फिल्म बताएगी। विशाल जेठवा का नैचुरल इंटेंसिटी वाला अंदाज यहां दोस्ती के भाव और संघर्ष के बीच संतुलन ला सकता है। इशान की स्क्रीन प्रेजेंस, खासकर छोटे शहर के युवाओं की बेचैनी और जिद दिखाने में, पहले भी असरदार रही है।

घैवान का काम हमेशा किरदारों की नज़र से सिस्‍टम को देखने पर टिकता है। इस फिल्म में भी उम्मीद है कि पुलिस की नौकरी को केवल वर्दी और एक्शन नहीं, बल्कि प्रक्रिया, रोक-टोक और अंदरूनी राजनीति के साथ दिखाया जाएगा। इसी लेयरिंग से ‘सच्ची कहानी’ का दावा वजनदार बनता है।

रिलीज़ प्लान को लेकर फिलहाल ट्रेलर के साथ जो सामने है, वही आधिकारिक है। थिएटर बनाम ओटीटी की घोषणा या विस्तृत संगीत एल्बम जैसी बातें अभी तक साझा नहीं की गई हैं। ऐसे में मार्केटिंग का अगला दौर—गानों, डायलॉग प्रॉमोज़ और मेकिंग वीडियोज़—कब आएंगे, इस पर नजर रहेगी।

सोशल मीडिया पर ट्रेलर को लेकर चर्चा बढ़ी है, लेकिन प्रियंका चोपड़ा की प्रतिक्रिया के बारे में कोई प्रमाणित जानकारी उपलब्ध नहीं है। कुछ अनऑफिशियल अकाउंट्स पर दावे दिखे, पर उनकी पुष्टि नहीं हुई। ऐसे में दर्शकों के लिए साधारण-सा नियम काम आता है—वेरिफाइड हैंडल्स और टीम की आधिकारिक पोस्ट्स पर भरोसा करें।

इंडस्ट्री एंगल से देखें तो ‘होमबाउंड’ उस स्पेस में आती है, जहां कहानियां आज के दर्शक के असल मुद्दों को छूती हैं—रोज़गार, सम्मान, सामाजिक पहचान। यहां स्टार पावर और क्राफ्ट, दोनों की परीक्षा होगी। अगर फिल्म ट्रेलर की अनुभूति को निभा लेती है, तो यह साल के चर्चित टाइटल्स में जगह बना सकती है।

ट्रेलर से बड़ी बातें एक नजर में

ट्रेलर से बड़ी बातें एक नजर में

  • Homebound ट्रेलर 17 सितंबर 2025 को धर्मा प्रोडक्शंस ने जारी किया।
  • निर्देशक नीरज घैवान—‘मसान’ और ‘गीली पुच्‍ची’ जैसे यथार्थपरक काम के लिए जाने जाते हैं।
  • लीड कास्ट: इशान खट्टर, जान्हवी कपूर, विशाल जेठवा—तीनों की स्क्रीन रेंज कहानी के लिए सूट करती है।
  • कहानी एक सच्ची दोस्ती और पुलिस नौकरी की दौड़ के बहाने ‘इज्जत’ और पहचान पर बात करती है।
  • रिलीज़ और म्यूजिक डिटेल्स पर आगे की आधिकारिक अपडेट का इंतजार रहेगा; प्रियंका चोपड़ा की प्रतिक्रिया की कोई पुष्टि नहीं।

ट्रेलर ने जो वादा किया है, वह साफ है—यह फिल्म तेज-तर्रार एक्शन की जगह इंसानी रिश्तों और सिस्टम की असलियत को तरजीह देगी। और वही इसे बाकियों से अलग भी कर सकता है।

14 टिप्पणि

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    Anjali Akolkar

    सितंबर 21, 2025 AT 16:54
    इतनी सच्ची कहानी होगी तो दिल भर जाएगा 🙏 बस ये उम्मीद है कि कोई नाटकीयता नहीं आएगी
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    Sunil Mantri

    सितंबर 22, 2025 AT 16:26
    घैवान फिर से गांव के बच्चों की दर्द भरी कहानी लेकर आया है... ये वाला ट्रेलर तो बिल्कुल मसान का रिमेक लग रहा है। थोड़ा नया कुछ तो दिखाओ भाई
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    sagar patare

    सितंबर 24, 2025 AT 11:57
    अरे यार इशान खट्टर का चेहरा तो हर फिल्म में वही दिखता है भाई... बस आंखें फैलाकर बोलता है और बस हो गया कहानी
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    srinivas Muchkoor

    सितंबर 25, 2025 AT 19:06
    पुलिस नौकरी इज्जत देती है? ये बात तो 90s में चलती थी अब तो सिर्फ भ्रष्टाचार की नौकरी है ये
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    Shivakumar Lakshminarayana

    सितंबर 27, 2025 AT 01:25
    धर्मा ने इसे बनाया क्यों? क्या ये सब एक बड़ा प्रचार है? तुम्हें पता है इंडिया में जो भी अच्छी फिल्म बनती है उसे अमेरिका या यूरोप में भेज दिया जाता है ताकि हमारी जमीन की कहानियां हमें नहीं दिखे
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    Parmar Nilesh

    सितंबर 27, 2025 AT 15:19
    इज्जत के लिए पुलिस बनना? भाई ये तो हमारे देश की जड़ है! अगर तुम्हारा बेटा पुलिस बने तो तुम गर्व से सिर उठाओगे! ये फिल्म हमारी जमीन की आत्मा को छूएगी
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    Arman Ebrahimpour

    सितंबर 29, 2025 AT 09:37
    इशान खट्टर और विशाल जेठवा... ये दोनों तो बॉलीवुड के चुनिंदा लोग हैं... लेकिन क्या ये फिल्म असल में उनकी ताकत को दिखाएगी या फिर एक और नकली राष्ट्रवादी नाटक?
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    SRI KANDI

    अक्तूबर 1, 2025 AT 00:31
    ट्रेलर देखा... बहुत सादगी से भरा हुआ है... ऐसी फिल्में बहुत कम मिलती हैं... बस इतना चाहिए कि अंत तक ये भाव बना रहे
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    Ananth SePi

    अक्तूबर 2, 2025 AT 14:33
    ये फिल्म सिर्फ दो दोस्तों की नहीं... ये उत्तर भारत के उन लाखों युवाओं की कहानी है जो रोज़ सुबह उठकर एक नौकरी के लिए अपनी जिंदगी की दुकान लगाते हैं... जिनके घर में लगी ताश की गेंदों की जगह प्रतियोगी परीक्षा के बुक्स हैं... जिनकी आंखों में डर है लेकिन दिल में जुनून... ये फिल्म उनके लिए है... और ये फिल्म उनकी आवाज़ है
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    Gayatri Ganoo

    अक्तूबर 3, 2025 AT 19:08
    अगर ये फिल्म सच में इज्जत के बारे में है तो फिर ये क्यों नहीं दिखाती कि जब वो पुलिस बन जाते हैं तो उन्हें भी भ्रष्टाचार में घुलना पड़ता है? ये फिल्म तो बस नाटक है
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    harshita sondhiya

    अक्तूबर 4, 2025 AT 13:41
    होमबाउंड? ये तो बस एक और बाहरी नाटक है जो हमें बताता है कि गांव के लोग अच्छे हैं और शहर बुरा है... बस इतना ही नहीं? तुम्हें पता है ये फिल्म तो बस एक नया गुलाम बनाने का तरीका है
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    Balakrishnan Parasuraman

    अक्तूबर 5, 2025 AT 20:40
    पुलिस की नौकरी इज्जत का नाम है। यह बात किसी को नहीं समझनी चाहिए। यह एक सम्मान का प्रतीक है। यह फिल्म देश के लिए एक जीत होगी।
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    Animesh Shukla

    अक्तूबर 6, 2025 AT 21:18
    अगर दोस्ती और इज्जत के बीच एक रिश्ता है तो क्या ये फिल्म दिखाएगी कि जब एक दोस्त नौकरी पा लेता है तो दूसरा क्या महसूस करता है? क्या वो भी अपनी इज्जत खो देता है? ये सवाल तो ट्रेलर में नहीं दिख रहा... लेकिन अगर फिल्म इसे छूए तो ये बहुत बड़ी बात होगी
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    Abhrajit Bhattacharjee

    अक्तूबर 6, 2025 AT 23:35
    इतनी सादगी और इतना दर्द... ये ट्रेलर मुझे रो दिया। बस एक बात कहना चाहता हूं-अगर ये फिल्म आपके दिल को छू गई तो ये फिल्म सफल है। बाकी सब बातें बस बहस हैं।

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