मुख्यमन्त्री शपथ ग्रहण क्या होता है?
जब किसी राज्य में चुनाव जीतता है, तो नया मुख्यमंत्री बन जाता है। लेकिन सिर्फ़ जीतने से काम नहीं चलता—उसे आधिकारिक तौर पर पद संभालने के लिए शपथ लेनी पड़ती है। इस शपथ को ‘मुख्यमन्त्री शपथ ग्रहण’ कहा जाता है और यह राज्य की राजनीति में सबसे बड़ी घटना होती है।
शपथ लेने की प्रक्रिया कैसे चलती है?
पहला कदम: चुनाव परिणाम आने के बाद, पार्टी का नेता (आमतौर पर मुख्यमंत्री) को गवर्नर से संपर्क करना पड़ता है। गवर्नर शपथ समारोह तय करते हैं और एक तारीख घोषित करते हैं।
दूसरा कदम: शपथ लेते समय अधिकारी‑अधिकारियों की बड़ी भीड़ इकट्ठा होती है—गवर्नर, वरिष्ठ मंत्री, विपक्षी नेता, पत्रकार और आम जनता। सभी का ध्यान इस एक क्षण पर केंद्रित रहता है।
तीसरा कदम: मुख्यमंत्री को दो वाक्य पढ़ने होते हैं। पहला वाक्य संविधान के अनुच्छेद 164(1) के तहत शपथ—"मैं भारत के संविधान तथा राज्य के नियमों की इज्जत से पालन करूँगा/करूँगी..." दूसरा वाक्य वैकल्पिक—अगर कोई व्यक्तिगत प्रतिबद्धता या कसम लेना चाहे। फिर गवर्नर इसे मान्य करते हैं और आधिकारिक तौर पर कार्यभार शुरू होता है।
हाल के प्रमुख शपथ समारोहों की झलक
दिल्ली में नई मुख्यमन्त्री रेखा गुप्ता ने ‘शीशमहल’ को संग्रहालय बनाने का फैसला किया, जिससे कई लोग चर्चा में रहे। यह निर्णय दर्शाता है कि शपथ के बाद नीति‑निर्धारण तेज़ी से शुरू हो जाता है।
तमिलनाडु में 2026 के विधानसभा चुनावों की तैयारी के दौरान बीजेडपी और एआईएडीएम ने गठबंधन फिर से जिवंत किया, जिससे राज्य की राजनीति पर नया असर पड़ेगा—शपथ लेने वाली टीम के गठबंधन का प्रभाव अक्सर नीति‑दिशा को तय करता है।
बिहार में पिछले साल नई सरकार ने शिक्षा सुधारों पर जोर दिया और शपथ के बाद ही कई नए नियम लागू किए। यह दिखाता है कि शपथ केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि कार्य योजना का आरम्भ बिंदु होती है।
अगर आप किसी राज्य की राजनीति को समझना चाहते हैं, तो शपथ समारोह से पहले और बाद की खबरें पढ़ना ज़रूरी है। अक्सर पत्रकार इस मौके पर नई नीति, मंत्रियों के पोर्टफोलियो और सरकार की प्राथमिकताओं का खुलासा करते हैं।
शपथ ग्रहण में कुछ छोटी‑छोटी चीज़ें भी दिलचस्प होती हैं—जैसे कि मुख्यमंत्री किस प्रकार का कपड़ा पहनते हैं, कौन सा संगीत बजता है या किसे विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है। ये सब जनता को यह महसूस कराते हैं कि नया नेता उनके साथ जुड़ रहा है।
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संक्षेप में कहा जाए तो मुख्यमन्त्री शपथ ग्रहण सिर्फ़ एक रस्म नहीं, बल्कि नए शासन के लिए मंच तैयार करने का महत्वपूर्ण कदम है। इस घटना को नज़रअंदाज़ करना मतलब भविष्य की दिशा को अनदेखा करना होगा। इसलिए हर बार जब आप इस टैग को देखेंगे, तो नवीनतम शपथ संबंधी खबरें पढ़कर अपडेट रहें।