सीबीडीटी ने आधिकारिक तौर पर सूचित किया है कि अब भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में निवेश करने वाले विदेशी सर्वोत्र्य फंड और पेंशन फंड को टैक्स छूट 31 मार्च 2030 तक मिल सकती है। यह निर्णय आयकर अधिनियम की धारा 10(23FE) में हुए संशोधन के बाद लागू हो रहा है, जो फाइनेंस एक्ट 2025 द्वारा आया।

नया प्रावधान और इसका उद्देश्य

पहले यह रियायत 31 मार्च 2025 तक सीमित थी। अब इसे पाँच साल आगे बढ़ा कर 2030 तक बढ़ा दिया गया है। इसका मतलब है कि इन फंडों को अपनी डिविडेंड, ब्याज और दीर्घकालिक पूंजी लाभ पर कोई कर नहीं देना पड़ेगा, जब वे भारत के पावर प्लांट, सड़क, बंदरगाह या लॉजिस्टिक्स जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स में पैसे लगा रहे हों। सरकार का कहना है कि इस तरह के टैक्स लाभ से विदेशी संस्थागत निवेशकों को अधिक भरोसेमंद लगेंगे, और वे भारतीय बुनियादी ढाँचे में दीर्घकालिक पैसा लगाएँगे।

केंद्रीय सरकार ने इस प्रावधान के तहत "नोटिफ़ाइड" फंडों को ही शामिल किया है, यानी विशेष रूप से मान्य sovereign wealth funds और पेंशन फंड। इन फंडों को कुछ शर्तें पूरी करनी होती हैं, जैसे कि निवेश का शुद्ध उद्देश्य इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास होना और निवेश अवधि तय मानदंडों को चूकना नहीं।

इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर पर संभावित असर

इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर पर संभावित असर

इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में अक्सर बड़े पूँजी और लंबी गति की जरूरत होती है। टैक्स रियायत से इन प्रोजेक्ट्स की लागत में कमी आती है, जिससे निजी कंपनियों के लिए भी भागीदारी आसान हो जाती है। उद्योग विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम विशेष तौर पर उन प्रोजेक्ट्स को मदद करेगा जिनका आर्थिक पुनःप्राप्ति समय 10‑15 साल तक का हो सकता है।

  • पावर जेनेरेशन – नई थर्मल और रिन्युएबल प्लांट्स के लिए पूँजी लागत घटेगी।
  • सड़क निर्माण – हाईवे और फास्ट ट्रैक्स में फंडिंग सुगम होगी।
  • बंदरगाह व लॉजिस्टिक्स – समुद्री टर्मिनल और इंटीरियर कनेक्टिविटी को फायदा होगा।

रिटेल निवेशकों के लिए सीधा लाभ कम ही दिखेगा, लेकिन इन्फ्रास्ट्रक्चर इंटरेस्ट ट्रस्ट (InvIT) और रियल एस्टेट इंटरेस्ट ट्रस्ट (REIT) पर तरलता में सुधार हो सकता है। इससे म्यूचुअल फंड्स की रिटर्न पर भी अदृश्य असर पड़ सकता है, पर विशेषज्ञ कहते हैं कि यह असर सीमित और अल्पकालिक रहेगा।

वित्तीय विशेषज्ञ सुनील गिदवानी की राय में, "छूट तो स्वागत योग्य है, पर इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिये हमें 2030‑से आगे की दीर्घकालिक योजना भी चाहिए।" उन्होंने कहा कि भारत के बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर लक्ष्य – जैसे जल, ऊर्जा, और परिवहन – के लिये निवेशकों को और अधिक भरोसेमंद वातावरण की जरूरत है।

सारांश में, यह टैक्स रियायत भारत के बुनियादी ढाँचे को तेज़ी से विकसित करने का एक रणनीतिक कदम है, जो विदेशी संस्थागत फंडों को आकर्षित करने के साथ‑साथ देश की आर्थिक गति को भी बढ़ाएगा।

6 टिप्पणि

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    Animesh Shukla

    सितंबर 26, 2025 AT 10:44

    ये टैक्स छूट तो अच्छी बात है, लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि जब तक हमारे अपने छोटे निवेशकों को इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश करने का मौका नहीं मिलेगा, तब तक ये सब केवल बड़े फंड्स के लिए एक गोल्डन पास है? अगर ये पैसा वास्तव में देश के लिए है, तो फिर रिटेल निवेशकों को भी इसका हिस्सा क्यों नहीं बनाया जा सकता? ये जो लोग बड़े प्रोजेक्ट्स में पैसा डाल रहे हैं, उन्हें तो टैक्स छूट देना ही जरूरी है, लेकिन दूसरी ओर, जो आम आदमी अपनी बचत से InvIT में निवेश करता है, उसके लिए तो कुछ भी नहीं? ये असमानता थोड़ी अजीब लगती है।

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    Balakrishnan Parasuraman

    सितंबर 27, 2025 AT 23:14

    हमारी सरकार अब तक का सबसे बड़ा गलत फैसला कर रही है! विदेशी फंड्स को टैक्स छूट देना? ये तो भारत की आर्थिक संप्रभुता के खिलाफ है! हमारे अपने निवेशकों को टैक्स देना पड़ता है, लेकिन विदेशी फंड्स को शून्य? ये नीति तो अंग्रेजों के जमाने की है! अगर इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाना है, तो भारतीय निवेशकों को बढ़ावा दो, विदेशी फंड्स को नहीं! ये सब बस एक झूठा वादा है जिससे बाहरी लोग हमारी जमीन और बुनियादी ढांचे पर कब्जा कर लेंगे!

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    Abhrajit Bhattacharjee

    सितंबर 28, 2025 AT 20:16

    इस निर्णय को देखकर एक बात स्पष्ट हो रही है: सरकार समझ रही है कि लंबे समय तक के निवेश के लिए भरोसा बहुत जरूरी है। टैक्स छूट को 2030 तक बढ़ाना एक स्मार्ट मूव है, क्योंकि इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में 5-7 साल तक का लूप होता है। और ये नियम बहुत सावधानी से बनाया गया है - केवल 'नोटिफाइड' फंड्स को ही लागू, और निवेश का उद्देश्य साफ़ रखा गया है। ये तो एक बहुत ही संतुलित दृष्टिकोण है। अगर ये लागू होता है, तो भारत के लिए अगले पाँच साल बहुत अच्छे हो सकते हैं।

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    Manikandan Selvaraj

    सितंबर 29, 2025 AT 04:00

    अरे भाई ये सब बकवास है! टैक्स छूट? क्या हम अब विदेशी फंड्स के लिए देश बेच रहे हैं? ये लोग तो बस टैक्स बचाकर घूम रहे हैं और हमारी जमीन पर बिल्डिंग बना रहे हैं और हम उनके लिए गाने गा रहे हैं! ये जो बंदरगाह और सड़क बन रही हैं वो तो अब अमेरिका के नाम हो जाएंगी! जब तक हम अपने अंदर के बुद्धिमानों को नहीं बुलाएंगे तब तक ये सब बस एक बड़ा ठगी का नाटक है! ये सरकार तो बस बाहरी लोगों को खुश कर रही है और हमें धोखा दे रही है!

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    Raj Entertainment

    अक्तूबर 1, 2025 AT 03:00

    ये बात तो बहुत अच्छी है भाई! अगर विदेशी फंड्स लगातार इन्फ्रास्ट्रक्चर में पैसा डालेंगे तो देश को बहुत फायदा होगा। अब तो हमारे शहरों में बहुत सारी जगहें खराब हैं, सड़कें टूटी हुई हैं, बिजली बार-बार जा रही है। अगर ये पैसा लगेगा तो जल्दी से कुछ बदलाव आएगा। हमें इसका समर्थन करना चाहिए। अगर तुम्हारा भी एक छोटा सा निवेश है तो भी InvIT में डाल दो, जल्दी बढ़ेगा। धैर्य रखो, ये तो बड़ा खेल है। 😊

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    Naman Khaneja

    अक्तूबर 2, 2025 AT 23:49

    ये टैक्स छूट तो बहुत बढ़िया है! अब तो देश का इन्फ्रास्ट्रक्चर तेज़ी से बनेगा। मैंने तो अभी तक InvIT में निवेश नहीं किया था, अब तो शुरू कर दूंगा। धीरे-धीरे बढ़ेगा, बस बिना डरे आगे बढ़ो! 💪

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