अप्रैल, 21 2025
आजम खान को अदालत से राहत: तीन मामलों में मिली कानूनी सहारा
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान की मुश्किलें थोड़ी कम हुई हैं। तीन बड़े मामलों में अदालत ने उनके पक्ष में अहम फैसले दिए हैं। हालांकि ये राहत पूरी तरह स्थायी नहीं है, लेकिन इनसे उनके जेल से बाहर आने की उम्मीदें जगी हैं।
सबसे चर्चा में रहा फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामला। इसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आजम खान, उनकी पत्नी तजीम फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को अग्रिम राहत दी है। दरअसल, बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना की शिकायत पर 2019 में एफआईआर दर्ज हुई थी कि अब्दुल्ला के दो अलग-अलग जन्म प्रमाण पत्र कागजों में पेश किए गए हैं। रामपुर की सेशन कोर्ट ने अक्टूबर 2023 में तीनों को सजा सुनाई थी। निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचे तो तजीम और अब्दुल्ला की सजा पूरी तरह पलट दी गई, जबकि आजम की सजा पर स्टे लगा दिया गया। तीनों को जमानत भी मिल गई है। यह फैसला परिवार के लिए बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है।
- फर्जी जन्म प्रमाण पत्र केस : हाई कोर्ट से मिली जमानत और सजा पर रोक, पलटा गया निचली अदालत का फैसला।
- स्टांप ड्यूटी का मामला : अब्दुल्ला आजम पर लगभग 3.7 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया। आरोप था कि 2021-22 में भूमि खरीद में सर्किल रेट से कम दाम दिखाकर सरकार को नुकसान पहुंचाया गया। अब्दुल्ला और परिवार इस जुर्माने के खिलाफ अपील की तैयारी कर रहे हैं।
- शत्रु संपत्ति मामला : तजीम फातिमा और बेटे अदीब आजम को अंतरिम जमानत मिलने से उनको भी मामूली राहत मिली है। आरोप है कि उन्होंने शत्रु संपत्ति के रिकॉर्ड से छेड़छाड़ की थी। दूसरी तरफ, अब्दुल्ला को 2008 के एक पुराने संपत्ति विवाद में सुप्रीम कोर्ट से भी फरवरी 2025 में जमानत मिली थी।

परिवार की कानूनी जंग जारी, जेल से रिहाई की उम्मीदें
इन फैसलों के बावजूद पूरा परिवार अभी अलग-अलग जेलों में है—आजम खान सीतापुर जेल में, तजीम फातिमा रामपुर जेल में और अब्दुल्ला आजम हरदोई जेल में बंद हैं। परिवार की कानूनी जंग अभी खत्म नहीं हुई है। सभी फैसलों के विरुद्ध उच्च न्यायालयों में अपीलें लंबित हैं। हर सुनवाई के साथ लोगों की निगाहें कोर्ट के अगले रुख पर टिकी हैं।
समाजवादी पार्टी के हलकों में इन खबरों को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया है। समर्थकों को उम्मीद है कि राहत स्थायी साबित होगी और आजम खान परिवार का जेल से बाहर निकलना संभव हो पाएगा।नीति और राजनीति के नजरिये से यह मामला बेहद अहम बना हुआ है। हर अदालती आदेश के बाद प्रदेश की राजनीति में भी हलचल बढ़ जाती है।
इन तीन मामलों की जटिलता और लगातार बदलते कानूनी फैसलों के बीच साफ है कि आजम खान की राह आसान नहीं है। मगर नई राहतों ने संघर्ष के मोर्चे पर थोड़ी राहत जरूर दी है। आने वाले दिनों में अदालतों के फैसले और सरकारी रणनीति, पूरे मामले की दिशा तय करते नजर आएंगे।