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आजम खान को अदालत से राहत: तीन मामलों में मिली कानूनी सहारा
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान की मुश्किलें थोड़ी कम हुई हैं। तीन बड़े मामलों में अदालत ने उनके पक्ष में अहम फैसले दिए हैं। हालांकि ये राहत पूरी तरह स्थायी नहीं है, लेकिन इनसे उनके जेल से बाहर आने की उम्मीदें जगी हैं।
सबसे चर्चा में रहा फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामला। इसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आजम खान, उनकी पत्नी तजीम फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को अग्रिम राहत दी है। दरअसल, बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना की शिकायत पर 2019 में एफआईआर दर्ज हुई थी कि अब्दुल्ला के दो अलग-अलग जन्म प्रमाण पत्र कागजों में पेश किए गए हैं। रामपुर की सेशन कोर्ट ने अक्टूबर 2023 में तीनों को सजा सुनाई थी। निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचे तो तजीम और अब्दुल्ला की सजा पूरी तरह पलट दी गई, जबकि आजम की सजा पर स्टे लगा दिया गया। तीनों को जमानत भी मिल गई है। यह फैसला परिवार के लिए बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है।
- फर्जी जन्म प्रमाण पत्र केस : हाई कोर्ट से मिली जमानत और सजा पर रोक, पलटा गया निचली अदालत का फैसला।
- स्टांप ड्यूटी का मामला : अब्दुल्ला आजम पर लगभग 3.7 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया। आरोप था कि 2021-22 में भूमि खरीद में सर्किल रेट से कम दाम दिखाकर सरकार को नुकसान पहुंचाया गया। अब्दुल्ला और परिवार इस जुर्माने के खिलाफ अपील की तैयारी कर रहे हैं।
- शत्रु संपत्ति मामला : तजीम फातिमा और बेटे अदीब आजम को अंतरिम जमानत मिलने से उनको भी मामूली राहत मिली है। आरोप है कि उन्होंने शत्रु संपत्ति के रिकॉर्ड से छेड़छाड़ की थी। दूसरी तरफ, अब्दुल्ला को 2008 के एक पुराने संपत्ति विवाद में सुप्रीम कोर्ट से भी फरवरी 2025 में जमानत मिली थी।
परिवार की कानूनी जंग जारी, जेल से रिहाई की उम्मीदें
इन फैसलों के बावजूद पूरा परिवार अभी अलग-अलग जेलों में है—आजम खान सीतापुर जेल में, तजीम फातिमा रामपुर जेल में और अब्दुल्ला आजम हरदोई जेल में बंद हैं। परिवार की कानूनी जंग अभी खत्म नहीं हुई है। सभी फैसलों के विरुद्ध उच्च न्यायालयों में अपीलें लंबित हैं। हर सुनवाई के साथ लोगों की निगाहें कोर्ट के अगले रुख पर टिकी हैं।
समाजवादी पार्टी के हलकों में इन खबरों को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया है। समर्थकों को उम्मीद है कि राहत स्थायी साबित होगी और आजम खान परिवार का जेल से बाहर निकलना संभव हो पाएगा।नीति और राजनीति के नजरिये से यह मामला बेहद अहम बना हुआ है। हर अदालती आदेश के बाद प्रदेश की राजनीति में भी हलचल बढ़ जाती है।
इन तीन मामलों की जटिलता और लगातार बदलते कानूनी फैसलों के बीच साफ है कि आजम खान की राह आसान नहीं है। मगर नई राहतों ने संघर्ष के मोर्चे पर थोड़ी राहत जरूर दी है। आने वाले दिनों में अदालतों के फैसले और सरकारी रणनीति, पूरे मामले की दिशा तय करते नजर आएंगे।
Shubh Sawant
अप्रैल 23, 2025 AT 02:54ये सब बस राजनीति का खेल है। जब तक आजम खान का नाम आता है, तब तक कोर्ट के फैसले भी बदल जाते हैं। असली न्याय तो बस एक ही चीज है - जिसके पास पैसा हो उसकी बात सुनी जाती है।
Adarsh Kumar
अप्रैल 24, 2025 AT 03:24हाईकोर्ट ने जमानत दी? अरे भाई ये सब अंदरूनी समझौते का हिस्सा है। बीजेपी विधायक की शिकायत तो बस एक ढोंग है - असली लक्ष्य तो समाजवादी पार्टी को कमजोर करना है। ये सब फर्जी दस्तावेज़ के नाम पर हो रहा है, पर असली बात तो ये है कि किसके हाथ में राज्य का नियंत्रण है।
Anjali Akolkar
अप्रैल 24, 2025 AT 08:47उम्मीद है अब ये परिवार घर लौट आएगा 🙏 इतने सालों तक जेल में रहना कोई जुर्म नहीं है अगर कोई बर्ताव कर रहा हो तो उसे न्याय मिलना चाहिए, न कि राजनीति का शिकार बनना।
Atul Panchal
अप्रैल 24, 2025 AT 23:46फर्जी जन्म प्रमाणपत्र? अरे ये तो हर राजनेता का बेसिक बैगेज है। जब तक तुम अपने नाम को अपने निकटवर्ती जिले में नहीं लिखते तब तक तुम एक असली भारतीय नहीं हो। अब ये जमानत मिल गई तो बस अपील के लिए अगले दस साल तक न्यायालयों में घूमते रहोगे। अब तो न्याय का नाम लेना ही बेकार है।
Shivakumar Lakshminarayana
अप्रैल 26, 2025 AT 22:14स्टांप ड्यूटी मामले में 3.7 करोड़ का जुर्माना? ये तो बस एक नकली न्याय का नाटक है। अगर ये जुर्माना असली होता तो आज तक हर बड़ा बिजनेसमैन जेल में होता। ये सब तो सिर्फ एक निशाना है - जिसका नाम आजम खान है।
Santosh Hyalij
अप्रैल 28, 2025 AT 03:29शत्रु संपत्ति का मामला भी अब न्याय का हिस्सा बन गया है? असली बात ये है कि जिनके पास पैसा है वो नियम बनाते हैं। जिनके पास नहीं है वो उनके नियमों के शिकार बनते हैं। ये न्याय नहीं ये शक्ति का खेल है।
srinivas Muchkoor
अप्रैल 29, 2025 AT 11:49आजम खान को राहत? ये तो सब बस बीजेपी के लिए एक ट्रिक है। अगर वो जेल से बाहर आ गए तो लोग उन्हें शहीद समझने लगेंगे। अब तो ये सब एक बड़ी बेनामी राजनीति है।
sagar patare
अप्रैल 30, 2025 AT 16:29ये सब बकवास है। किसी ने एक बार भी सोचा कि ये जन्म प्रमाणपत्र किसने बनवाया? अगर ये सब असली होता तो आज तक हर राजनेता की गर्लफ्रेंड का नाम भी बदल चुका होता।
Nidhi Singh Chauhan
मई 1, 2025 AT 05:25हाईकोर्ट ने जमानत दी तो अब तो ये सब फिर से न्याय का नाम लेने लगेंगे... पर असली बात तो ये है कि जब तक आजम खान के नाम का इस्तेमाल होगा तब तक ये जेल वाले दरवाजे खुले रहेंगे।
Patel Sonu
मई 1, 2025 AT 23:15अगर ये सब फर्जी है तो असली क्या है? क्या तुम्हारा नाम तुम्हारे पास है? क्या तुम्हारा जन्म तुम्हारे घर पर हुआ? ये सब बस एक बड़ी बात है - जिसके पास पावर है वो दस्तावेज़ बना सकता है। न्याय तो बस एक शब्द है जिसका इस्तेमाल लोग अपने लाभ के लिए करते हैं।
Sunil Mantri
मई 3, 2025 AT 18:06ये सब बस राजनीति का खेल है और आजम खान इसका प्रतीक है... जब तक ये नाम बाहर आएगा तब तक ये मामले चलते रहेंगे।
Puneet Khushwani
मई 5, 2025 AT 07:28जेल से बाहर आने की उम्मीद? अरे भाई ये तो बस एक दिन का फैसला है। अपील तो अभी बाकी है।