वौक्फ बोर्ड बिल: विस्तृत समीक्षा और विपक्ष की आपत्ति

केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने हाल ही में वौक्फ (संशोधन) विधेयक प्रस्तुत किया और इसके साथ ही इसे अधिक विस्तृत समीक्षा के लिए संयुक्त संसदीय समिति को भेजने का प्रस्ताव रखा। इस विधेयक को पेश करते समय विपक्षी दलों ने इसके प्रावधानों पर कड़ी आपत्ति जताई। विधेयक का उद्देश्य 1995 के वौक्फ अधिनियम में बदलाव करना है और इसमें कई महत्वपूर्ण बदलाव शामिल हैं।

विधेयक के तहत वौक्फ की परिभाषा को पुनः परिभाषित करना, वौक्फ बोर्डों की शक्तियों में कटौती करना और केंद्र सरकार को नियम बनाने का अधिकार देना शामिल है। इसके अतिरिक्त, विधेयक के माध्यम से वौक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने की अनुमति दी गई है और केंद्रीय वाःक्फ परिषद और राज्य वाःक्फ बोर्डों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया गया है।

उल्लेखनीय प्रावधान और संभावित प्रभाव

विधेयक में यह भी प्रस्तावित है कि बोहरा और आगाखानी समुदायों के लिए एक अलग बोर्ड स्थापित किया जाए और वौक्फों के पंजीकरण की प्रक्रिया को एक केंद्रीय पोर्टल और डेटाबेस के माध्यम से सुव्यवस्थित किया जाए। गृह मंत्री अमित शाह ने इस विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि 1923 का मुसलमान वाक्फ अधिनियम अब प्रासंगिक नहीं है और 1995 का वौक्फ अधिनियम सुधार की आवश्यकता रखता है ताकि अपने उद्देश्य को पूरा कर सके।

विपक्ष की आपत्ति और सरकार का पक्ष

विपक्षी दलों ने इस विधेयक को संविधान और संघवाद पर हमला बताते हुए आरोप लगाया कि सरकार ने मुस्लिम स्टेकहोल्डर्स से सलाह-मशविरा किए बिना यह विधेयक तैयार किया है। विधेयक को लोकसभा में प्रस्तुत करने से पहले मंगलवार रात को सभी सदस्यों के बीच वितरित किया गया।

विधेयक पर उठे अभावनों का जवाब देते हुए रिजिजू ने स्पष्ट किया कि यह विधेयक किसी भी धार्मिक निकाय की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं करता और संविधान के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करता। उन्होंने यह भी दावा किया कि कई सांसदों ने निजी तौर पर उन्हें सूचित किया है कि वौक्फ बोर्डों पर माफिया का कब्ज़ा है।

विस्तृत समीक्षा के लिए संयुक्त संसदीय समिति को सौंपा गया

विधेयक के प्रस्ताव के दौरान विपक्षी सांसदों के निरंतर विरोध के बीच इसे और विस्तृत जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति को सौंप दिया गया। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि समिति इस विधेयक पर किन-किन बिंदुओं पर विचार करेगी और क्या बदलावे संभावित हैं।

विधेयक के प्रस्तुतिकरण से उत्पन्न विरोध और चर्चा ने एक बार फिर इस महत्वपूर्ण मुद्दे को राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से केंद्रीय मंच पर ला दिया है। इसका क्या परिणाम होगा, यह समय बताएगा, लेकिन यह स्पष्ट हो गया है कि संघीय ढांचे और धार्मिक सहिष्णुता के मुद्दे पर गहरे विचार-विमर्श की आवश्यकता है।

12 टिप्पणि

  • Image placeholder

    harshita sondhiya

    अगस्त 9, 2024 AT 13:08

    ये सब बकवास फिर से? वक्फ बोर्ड पर माफिया का कब्ज़ा? अरे भाई, तुम लोग जो कुछ भी नहीं समझते, उसे बदलने का नाम लगा देते हो। ये विधेयक तो मुस्लिम समुदाय की आत्मा को छीनने की कोशिश है।

  • Image placeholder

    Balakrishnan Parasuraman

    अगस्त 10, 2024 AT 04:35

    अगर वक्फ बोर्ड अब भी 1923 के नियमों पर चल रहे हैं, तो ये बदलाव बिल्कुल जरूरी है। संविधान का उल्लंघन? बकवास। जब तक सभी धर्मों के लिए समान नियम नहीं आ जाते, तब तक ये सुधार अच्छे हैं। देश की आर्थिक विकास और न्याय के लिए ये कदम बहुत बड़ा है।

  • Image placeholder

    Animesh Shukla

    अगस्त 11, 2024 AT 08:25

    लेकिन क्या हम ये भूल गए कि वक्फ अपने आप में एक धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक संरचना है? जब हम इसमें गैर-मुस्लिमों को शामिल करते हैं, तो क्या ये उनके विश्वासों को भी बदल देगा? क्या ये एक समानता का निर्माण है, या एक एकीकरण का दबाव? और अगर बोहरा और आगाखानी समुदाय को अलग बोर्ड दिया जा रहा है, तो क्या ये एक नए विभाजन की शुरुआत नहीं है?

    हमें सिर्फ बदलाव नहीं, बल्कि उसके नैतिक और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को भी समझना होगा।

  • Image placeholder

    Abhrajit Bhattacharjee

    अगस्त 11, 2024 AT 08:51

    समझदारी से देखें तो ये बिल एक अच्छा कदम है। अगर वक्फ जमीनों का उपयोग सिर्फ धार्मिक उद्देश्यों के लिए नहीं हो रहा, तो इसे सुधारना जरूरी है। लेकिन जब तक सभी समुदायों के साथ संवाद नहीं होगा, तब तक विरोध रहेगा। अच्छा निर्णय लेने के लिए बातचीत जरूरी है।

  • Image placeholder

    Raj Entertainment

    अगस्त 11, 2024 AT 10:15

    भाई ये सब बहुत बड़ा मामला है, लेकिन चिंता मत करो। सब कुछ ठीक हो जाएगा। अगर इस बिल के तहत जमीन का उपयोग बेहतर तरीके से होगा, तो लाखों लोगों को फायदा होगा। बस एक बात याद रखो - बदलाव का डर तो हर नए चीज़ के साथ आता है।

  • Image placeholder

    Manikandan Selvaraj

    अगस्त 13, 2024 AT 07:11
    ये बिल तो अंग्रेजों की चाल है जो अब भी हमारे अंदर छिपी है अब ये गैर मुस्लिम लोग वक्फ पर कब्जा करेंगे और हमारी धरोहर चुरा लेंगे ये सब एक योजना है और तुम सब उसे नहीं समझ पा रहे
  • Image placeholder

    Naman Khaneja

    अगस्त 15, 2024 AT 05:16
    ये बिल अच्छा है 😊 जमीनों का इस्तेमाल बेहतर होगा और लोगों को मदद मिलेगी। बस थोड़ा धैर्य रखो, सब ठीक हो जाएगा 💪❤️
  • Image placeholder

    Gaurav Verma

    अगस्त 16, 2024 AT 12:14
    केंद्र सरकार ने ये बिल तभी लाया जब चुनाव नजदीक आ रहे थे। ये सब बस वोट की खातिर है। अगले 3 महीने में ये बिल वापस ले लिया जाएगा।
  • Image placeholder

    Fatima Al-habibi

    अगस्त 17, 2024 AT 12:55

    क्या आपने कभी सोचा कि जब वक्फ बोर्ड के अधिकारियों को गैर-मुस्लिम सदस्य बनाया जा रहा है, तो क्या ये धार्मिक नियमों के खिलाफ नहीं है? ये सुधार नहीं, बल्कि एक नए तरह के नियंत्रण की शुरुआत है।

  • Image placeholder

    Nisha gupta

    अगस्त 18, 2024 AT 05:22

    एक राष्ट्र के लिए धर्म और राजनीति का संघर्ष अनिवार्य है, लेकिन इस बिल के माध्यम से हम अपने सामाजिक बुनियादी ढांचे को नष्ट कर रहे हैं। वक्फ की जमीन अगर लोगों की जरूरतों के लिए इस्तेमाल हो रही है, तो इसे सुधारना चाहिए - लेकिन इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 25 का सम्मान करना जरूरी है।

    हमें नियंत्रण नहीं, बल्कि समझ और सहिष्णुता की जरूरत है।

  • Image placeholder

    Roshni Angom

    अगस्त 19, 2024 AT 23:32

    मुझे लगता है कि ये बिल एक बड़ा अवसर है... लेकिन इसके लिए बहुत सारे लोगों को सुनना होगा। अगर हम बस एक तरफ़ की आवाज़ सुनेंगे, तो ये सुधार नहीं, बल्कि एक नया विवाद बन जाएगा।

    क्या हम वक्फ की जमीन को बदलने के बजाय, उसके उपयोग को बदल सकते हैं? क्या हम इसे एक नियंत्रण का टूल बना सकते हैं, या एक सेवा का साधन?

  • Image placeholder

    vicky palani

    अगस्त 21, 2024 AT 17:03

    ये बिल तो बस एक झूठ है। गैर-मुस्लिम सदस्य शामिल करना? बिल्कुल बकवास। जब तक वक्फ बोर्डों के सभी अधिकारी नहीं बदल जाते, तब तक ये सब बस एक धोखा है। ये बिल तो जमीन छीनने के लिए बनाया गया है - और तुम सब उसे समझ नहीं पा रहे।

एक टिप्पणी लिखें