उत्तर प्रदेश के बहराइच में भेड़िये के हमलों के पीछे की पड़ताल और कारणों की जांच

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में भेड़िये के हमलों की घटना ने पूरे इलाके में दहशत और चिंता का माहौल कायम कर दिया है। 2024 में इन हमलों की एक श्रृंखला में नौ लोगों की जानें चली गईं और दर्जनों लोग घायल हो गए हैं। इनमें से अधिकतर हमले घाघरा नदी के किनारे के दो क्षेत्रों में केन्द्रित रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इन हमलों का मुख्य निशाना छोटे बच्चे, खासकर एक से आठ वर्ष के थे, साथ ही एक 45 वर्षीय महिला भी इनमें शामिल है।

पहला हमला मार्च महीने में हुआ था, इसके बाद हमलों में 116 दिनों का विराम मिला, लेकिन 17 जुलाई से एक बार फिर ये हमले शुरू हो गए जो हर 4 से 14 दिनों के अंतराल में होते रहे। ये सभी हमले घाघरा नदी से 2-5 किलोमीटर की परिधि में केंद्रित हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि भेड़िये इस इलाके में 30-32 किलोमीटर के दायरे में घूमते रहते हैं।

विभिन्न विशेषज्ञों की राय

इस स्थिति पर स्थानीय वन अधिकारियों का कहना है कि ये हमले पास के जंगलों में आई बाढ़ के कारण हो सकते हैं। हालांकि, उपग्रह चित्रण और संरक्षक विशेषज्ञ इस दावे का खंडन करते हैं और मानते हैं कि भेड़िये आम तौर पर घास और कृषि क्षेत्रों में रहते हैं।

संरक्षक यदवेंद्रदेव विक्रमसिंह झाला का मानना है कि यह हमला भेड़िये और कुत्ते के मिलन से उत्पन्न एक क्रॉस-ब्रीड जानवर द्वारा किया जा सकता है। ऐसे जानवरों में स्वाभाविक रूप से मनुष्यों का डर कम हो जाता है। यह थ्योरी 1996 की एक जांच पर आधारित है जिसमें पाया गया था कि ज्यादातर भेड़िये के हमलों के पीछे असल में भेड़िये नहीं थे।

दिल्ली चिड़ियाघर के वरिष्ठ अधिकारी सौरभ वशिष्ठ का कहना है कि आमतौर पर भेड़िये मनुष्यों पर तब हमला करते हैं जब वे खुद को खतरे में महसूस करते हैं या उन्हें छोटे जानवरों का शिकार नहीं मिल पाता।

भेड़िये और वन्यजीव संरक्षण

भारतीय भेड़िया, जो वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के शेड्यूल I के तहत संरक्षित है, की जनसंख्या 2020 में 4,400 से 7,100 के बीच अनुमानित की गई थी। यह संख्या उनके संरक्षण के लिए किए गए असरदार प्रयासों का परिणाम है। लेकिन इस तरह की घटनाएं कहीं न कहीं मानव-वन्यजीव संघर्ष को बढ़ावा देती हैं।

स्थानीय लोगों ने भेड़ियों के हमलों से डरकर कई उपाय अपनाए हैं, जिनमें रात के समय घरों के बाहर निकलने से बचना और गांव के किनारों पर सुरक्षा गार्ड्स को तैनात करना शामिल है। बच्चियों और बच्चों को विशेष सावधानियों के साथ स्कूल भेजा जा रहा है और पशुओं को बचाने के लिए बाड़ों की व्यवस्था की जा रही है।

भविष्य की सुरक्षा के उपाय

प्रशासन को इस घटना पर तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। एक बढ़ा हुआ वन्यजीव संरक्षण के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षा उपायों को बढ़ावा देना जरूरी है। वन विभाग को भेड़ियों के संभावित निवास स्थानों और उनके हावभाव के पैटर्न का गहराई से अध्ययन करना चाहिए। साथ ही, भेड़िये और अन्य जंगली जानवरों के निवास स्थान में बदलाव की निगरानी करना भी आवश्यक है।

एक व्यवहारिक समाधान यह हो सकता है कि जंगलों और मानव आवासों के बीच एक बफर ज़ोन तैयार किया जाए जहां दोनों के बीच न्यूनतम संपर्क हो। नवीनतम उपग्रह तकनीक और ड्रोन जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके निगरानी की जा सकती है। भेड़ियों की बॉयोमेट्रिक पहचान और उनकी गतिविधियों का ट्रैक रखना, एक और महत्वपूर्ण पहलू हो सकता है।

कुल मिलाकर इस स्थिति का समाधान एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाकर ही संभव है, जिसमें मानव और वन्यजीव दोनों के संरक्षण का ध्यान रखा जाए। प्रशासन, वन विभाग और स्थानीय समुदायों के बीच सहयोग से हम इस समस्या का सही समाधान कर सकते हैं।

9 टिप्पणि

  • Image placeholder

    harshita sondhiya

    अगस्त 31, 2024 AT 02:28

    ये भेड़िये तो अब इंसानों को खाने का ट्रेनिंग ले रहे हैं! बच्चों को टारगेट करना? ये जानवर नहीं, डरावने सीरियल किलर हैं। वन विभाग कहता है बाढ़ का असर, अरे भाई, बाढ़ तो हर साल आती है, पर अब तक ऐसा क्यों हो रहा है? ये सब बकवास बहाने हैं।

  • Image placeholder

    Balakrishnan Parasuraman

    अगस्त 31, 2024 AT 20:23

    इस देश में जंगली जानवरों को इतना अधिक संरक्षण दिया जा रहा है कि इंसानों की जान बेकार हो रही है। भेड़िया संरक्षित है, पर हमारे बच्चे नहीं? ये नियम बदले बिना ये गांव अब जीवन के लिए असुरक्षित हैं। भेड़ियों को नियंत्रित करना होगा, न कि उनकी बायोमेट्रिक पहचान करना।

  • Image placeholder

    Animesh Shukla

    अगस्त 31, 2024 AT 21:49

    अगर भेड़िये के हमले अचानक शुरू हुए हैं, तो क्या ये सिर्फ जानवरों का व्यवहार बदलना है... या हमारा बदल रहा है? हमने जंगलों को कितना कम कर दिया है? कितने गांव अब जंगल के किनारे पर बस गए हैं? क्या हम खुद उनके घर में घुस गए हैं? और अगर भेड़िया-कुत्ता क्रॉस ब्रीड है, तो क्या ये हमारी निर्माण शैली का परिणाम है? जीवन का असली सवाल यही है...

  • Image placeholder

    Abhrajit Bhattacharjee

    सितंबर 1, 2024 AT 16:49

    मैं इस बात से सहमत हूं कि वन्यजीव संरक्षण जरूरी है, लेकिन इसके साथ ग्रामीण सुरक्षा भी नहीं भूलनी चाहिए। बफर जोन बनाना, ड्रोन निगरानी, और स्थानीय लोगों को शिक्षित करना-ये सब एक साथ करना होगा। ये समस्या एक पक्ष की नहीं, दोनों की है। हमें इसे संतुलित तरीके से सुलझाना होगा।

  • Image placeholder

    Raj Entertainment

    सितंबर 2, 2024 AT 10:49

    भाईयों, ये सब बहुत बड़ी बात है, पर एक छोटी सी बात-अगर तुम रात को बच्चों को अकेले बाहर नहीं भेजते, तो ये हमले घट जाएंगे। बस एक नियम: रात को घर से बाहर न निकलो। ये सब टेक्नोलॉजी और रिपोर्ट्स से ज्यादा बेसिक सेफ्टी से काम चलता है। बस थोड़ा ध्यान दो, बच्चे बच जाएंगे। 😊

  • Image placeholder

    Manikandan Selvaraj

    सितंबर 2, 2024 AT 17:16

    ये भेड़िये असल में कोई जानवर नहीं हैं भाई... ये राज्य की चाल है... ये लोग अपनी नियुक्तियों के लिए डर फैला रहे हैं... बाढ़ नहीं... भेड़िये नहीं... ये सब एक बड़ा धोखा है... जंगल में जानवर नहीं रहते... वो सब रात में आते हैं और बच्चों को ले जाते हैं... तुम्हें यकीन है कि ये भेड़िये हैं? क्या तुमने कभी उनका चेहरा देखा है?

  • Image placeholder

    Naman Khaneja

    सितंबर 2, 2024 AT 18:52

    बच्चों को सुरक्षित रखो, बाड़ लगाओ, रात को बाहर मत जाओ... ये तो बहुत आसान बात है 😊 और अगर भेड़िये आ रहे हैं तो डरो मत... वो भी बस अपना खाना ढूंढ रहे हैं... हम भी अपना घर बचाएंगे... एक साथ हम सब कुछ ठीक कर लेंगे 💪❤️

  • Image placeholder

    Gaurav Verma

    सितंबर 4, 2024 AT 05:55

    भेड़िये नहीं... ये सब नियंत्रित जानवर हैं... जो किसी बड़े ऑपरेशन के हिस्से हैं... जिसमें लोगों को डराकर जमीन छीनी जा रही है... बाढ़ बहाना है... वन विभाग का नाम लेकर... ये सब बहुत पुरानी चाल है...

  • Image placeholder

    Fatima Al-habibi

    सितंबर 4, 2024 AT 10:38

    इतनी तकनीकी जानकारी, इतने विशेषज्ञ... और फिर भी एक बच्चा गायब हो जाता है। क्या हम अपने अधिकारियों को विश्वास दे रहे हैं... या बस इस तरह से अपने अनुत्तरित डर को दबा रहे हैं? ये बातें तो बहुत सुंदर लगती हैं... लेकिन जब तक एक बच्चे की जान नहीं बच जाती... ये सब बस एक नाटक है।

एक टिप्पणी लिखें