तुलसी विवाह का पर्व: ईश्वर की अनुकूलता का प्रतीक

तुलसी विवाह का पर्व एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार है, जो हिंदू समाज में गहरे आदर और विश्वास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व भगवान विष्णु और तुलसी माता के अद्वितीय और दिव्य विवाह को चिन्हित करता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, तुलसी विवाह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है, जो इस वर्ष 2024 में 13 नवंबर को पड़ता है। इसके साथ ही, यह पर्व भारतीय संस्कृति में शादी-ब्याह के मौसम की शुरुआत का संकेत देता है।

तिथि और शुभ मुहूर्त की जानकारी

तुलसी विवाह का पर्व अत्यंत शुभ माना जाता है और इसके आयोजन के लिए विशेष मुहूर्त निर्धारित किए जाते हैं। 2024 में, 13 नवंबर को इसके लिए सुबह 10:46 से लेकर 12:05 तक और शाम 5:29 से 7:53 तक के दो समय विशेष रूप से लाभकारी बताए गए हैं। वहीं, कुछ लोग देव उठनी एकादशी के दिन यानी 12 नवंबर को भी इसका आयोजन करते हैं, जिसके लिए शाम का समय 5:29 से 8:00 तक उचित है।

तुलसी विवाह की सामग्री और पूजन विधि

तुलसी विवाह का आयोजन करने के लिए कई प्रकार की सामग्री की आवश्यकता होती है। इनमें शामिल हैं- मिट्टी का दीपक, देसी घी, अगरबत्ती, फल, फूल, हार, श्रृंगार की सामग्री, तुलसी माता और भगवान विष्णु के लिए वस्त्र, अक्षत, मीठा पान, मिठाइयां, साड़ी, धोती एवं पगड़ी, हल्दी, मंगलसूत्र और मेहंदी।

पूजन की विधि यह है कि सबसे पहले भगवान विष्णु और तुलसी माता की मूर्तियों को स्वच्छ कर उनकी सजीव सजावट की जाती है। उसके बाद, मूर्तियों पर कुमकुम, हल्दी और मेहंदी का लेप किया जाता है। इस अवसर पर फल और मिठाइयों का भोग लगाकर, दोनों मूर्तियों पर माला पहनाई जाती है और मांगलिक सिंदूर की रस्म का आयोजन होता है। विधिवत मंत्रोच्चार, श्री हरि स्तोत्र और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ इस पवित्रता को और बढ़ाता है।

आधी देवी लक्ष्मी का अवतार: तुलसी माता

हिंदू धर्मग्रंथों में तुलसी माता को देवी लक्ष्मी का एक रूप माना जाता है। तुलसी विवाह को विष्णु भगवान के आशीर्वाद और देवी तुलसी की कृपा प्राप्ति का अनूठा पर्व माना जाता है। इसे करने से घर में सुख और समृद्धि का आगमन माना जाता है और यह विशेष रूप से उन दंपतियों के लिए फलदायी होता है जो संतान की कामना करते हैं।

हिंदू संस्कृति में तुलसी विवाह का विशेष स्थान

तुलसी विवाह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे संस्कृति के विविध रंगों को प्रकट करता है। यह पर्व वर्षा ऋतु के समापन और विवाह के मौसम के प्रारंभ का प्रतीक होता है। इस पर्व की विशेषता यह है कि इसे घर की वधुओं द्वारा भी संपन्न किया जा सकता है, हालांकि विधवा महिलाओं को इसमें शामिल नहीं किया जाता है। तुलसी विवाह के माध्यम से हम न केवल धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करते हैं, बल्कि यह हमारे समाज के बंधन को और मजबूत बनाता है।

समृद्धि और बाधाओं का निवारण

तुलसी विवाह को करने से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है, और जीवन के सभी प्रमुख विघ्न दूर हो जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह विवाह हमारे जीवन को सकारात्मक दिशा देता है और परिवार में आशा और अनुराग का संचार करता है। तुलसी और विष्णु का यह दिव्य संयोग हमें साझेदारी, प्यार और विश्वास के अर्थ सिखाता है।

12 टिप्पणि

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    SRI KANDI

    नवंबर 14, 2024 AT 07:17
    तुलसी विवाह का दिन तो हमेशा से ही बहुत शुभ माना गया है... पर आजकल तो इसे बस एक फोटो शूट का मौका बना लिया गया है।
    माता के सामने फूल चढ़ाकर फिर सोशल मीडिया पर पोस्ट करना बस एक रिटुअल धर्म बन गया है।
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    Ananth SePi

    नवंबर 15, 2024 AT 19:40
    अरे भाई, तुलसी विवाह का महत्व तो सिर्फ तिथि और मुहूर्त में नहीं, बल्कि उस भावना में है जिससे हम इसे करते हैं! जब मैं बच्चा था, तो मेरी दादी हर सुबह तुलसी के पास जाकर उसकी पत्तियों को छूकर नमस्कार करती थीं, बिना किसी फोटो के, बिना किसी रिकॉर्डिंग के... अब तो तुलसी के बारे में लोग इतने बातें करते हैं कि शायद तुलसी खुद भी घबरा जाए! अगर तुम्हारे घर में तुलसी है, तो उसकी पत्ती खाने की जगह, उसे पानी दो, उसके आसपास साफ़ रखो, और फिर देखो कैसे तुम्हारा घर शांत हो जाता है। ये धर्म नहीं, ये जीवन है।
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    Gayatri Ganoo

    नवंबर 15, 2024 AT 23:10
    ये सब बकवास है। तुलसी विवाह? असल में ये एक बड़ा धार्मिक फ्रॉड है। लोग इसे इसलिए मनाते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर वो नहीं करेंगे तो उनके घर में बुरी आत्माएं आ जाएंगी। और जो लोग विधवाओं को इसमें शामिल नहीं करते, वो बस अपने पुराने पापों को छुपाने की कोशिश कर रहे हैं।
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    harshita sondhiya

    नवंबर 17, 2024 AT 01:31
    क्या आप लोग अपनी बेटियों को तुलसी विवाह में शामिल करने की अनुमति देते हैं? नहीं? तो फिर ये सब धर्म क्यों? ये तो बस एक लिंग आधारित अत्याचार है! तुलसी माता को शादी कराने का जो अर्थ है, वो उन लोगों के लिए है जो अपनी बेटियों को बेचने का बहाना बनाना चाहते हैं। ये सब बेकार है।
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    Balakrishnan Parasuraman

    नवंबर 17, 2024 AT 12:32
    ये सब बहुत अच्छा है। लेकिन आजकल के युवा लोग तो अपने घर में तुलसी का पौधा भी नहीं रखते। ये धर्म का अपमान है। हमें अपनी संस्कृति को बचाना होगा। इस देश में जो भी तुलसी विवाह नहीं मनाता, वो अपने जन्मभूमि का धोखेबाज है। भारत की शक्ति इसी धर्म में है।
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    Animesh Shukla

    नवंबर 17, 2024 AT 21:32
    मैंने कभी सोचा नहीं था कि एक पौधे की शादी के पीछे इतनी गहरी दार्शनिक अवधारणा छिपी होगी। तुलसी का विवाह विष्णु के साथ... ये तो एक अद्भुत रूपक है। प्रकृति और दिव्यता का मिलन। जब हम तुलसी को सजाते हैं, तो हम अपने अंदर के उस शुद्ध भाव को भी सजा रहे होते हैं। क्या हम वाकई इसके अर्थ को समझते हैं? या बस रिवाज के लिए कर रहे हैं? एक ऐसा अवसर जहां हम अपने घर के अंदर एक दिव्य संबंध की स्थापना कर सकते हैं... ये तो बहुत खास बात है।
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    Abhrajit Bhattacharjee

    नवंबर 18, 2024 AT 10:43
    अच्छा लगा कि आपने तुलसी विवाह के बारे में इतना साफ़ और सटीक लिखा है। मैंने भी अपने घर में ये रिवाज बरकरार रखा है। हर साल तुलसी के सामने अक्षत और फूल चढ़ाते हैं। अगर आपको लगता है कि ये बस एक रिवाज है, तो आप इसकी गहराई को नहीं जानते। ये एक अनुष्ठान है जो घर में शांति लाता है। बस थोड़ा धैर्य रखें, और इसे दिल से करें।
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    Raj Entertainment

    नवंबर 20, 2024 AT 01:56
    भाई, तुलसी विवाह का मतलब बस ये है कि तुम्हारे घर में एक पौधा है जो तुम्हारे लिए बहुत कुछ करता है। ये दवा बनाता है, हवा साफ़ करता है, और दिल को शांत करता है। अगर तुम इसे शादी के रूप में मनाते हो, तो बिल्कुल ठीक है। लेकिन याद रखो, इसका असली मतलब तो ये है कि तुम उसे प्यार करो। बस इतना ही।
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    Manikandan Selvaraj

    नवंबर 20, 2024 AT 04:59
    तुलसी विवाह? अरे भाई ये तो बस एक बड़ा जाल है जिससे लोग अपनी बेटियों को बेच रहे हैं और देवता का नाम ले रहे हैं। मैंने देखा है कि जहां तुलसी विवाह होता है वहां लड़कियों को बहुत दबाव दिया जाता है। और जो विधवाएं हैं उन्हें बाहर रख दिया जाता है। ये धर्म नहीं ये अत्याचार है। तुलसी को शादी कराने की जरूरत क्यों? वो तो खुद ही देवी है।
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    Naman Khaneja

    नवंबर 20, 2024 AT 06:58
    बहुत अच्छा लगा 😊 तुलसी विवाह तो मैंने अपने गांव में देखा था... लोग बहुत खुश थे। मैंने भी अपने घर में तुलसी का पौधा लगाया है और हर शुक्रवार को उसे पानी देता हूं। बस इतना ही। लेकिन इससे मेरा दिल अच्छा लगता है। आप भी करें और देखिए कैसे जीवन बदल जाता है ❤️
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    Gaurav Verma

    नवंबर 20, 2024 AT 06:58
    ये सब बकवास है। तुलसी विवाह का एक भी अर्थ नहीं है। ये सब लोग अपने डर को धर्म के नाम पर छुपा रहे हैं।
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    Fatima Al-habibi

    नवंबर 21, 2024 AT 00:00
    मुझे लगता है कि यह लेख बहुत संरचित और विस्तृत है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जब एक पौधे को 'विवाह' किया जाता है, तो यह व्यक्तित्व के विषय को भौतिक रूप से आरोपित करने का एक उदाहरण है? यह एक सांस्कृतिक रूपक है, लेकिन क्या यह वास्तविकता को विकृत करता है? इसका अर्थ अधिक दार्शनिक हो सकता है, लेकिन क्या यह आधुनिक विचारों के साथ संगत है?

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