संघ की नई ऊर्जा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने हाल के भाषण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तारीफ की और उसे 'विकसित भारत' के लक्ष्य के लिए नई ऊर्जा का स्रोत बताया। प्रधानमंत्री मोदी अक्सर अपने संबोधनों में इस बात पर जोर देते हैं कि आरएसएस की सेवाभावना और देशभक्ति का कोई मुकाबला नहीं है। उन्होंने कहा कि संघ का यह योगदान भारत को एक उन्नत और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने में सहायक होगा। आरएसएस का यह संकल्प देश की सामाजिक समरसता को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

आरएसएस का योगदान

यह व्यापक रूप से माना जाता है कि आरएसएस के स्वयंसेवकों ने समय-समय पर देश की विभिन्न प्रकार की चुनौतियों में उठ खड़े होकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्राकृतिक आपदाओं से लेकर आर्थिक संकट तक, स्वयंसेवक समाज के सबसे कोमल तबकों की सहायता करने में लगे रहते हैं। इसी सेवाभाव की वजह से प्रधानमंत्री ने आरएसएस की तारीफ की है और इसके भविष्य के योगदान को देश के विकास में अहम बताया है।

पिछले अनुभवों का लाभ

आरएसएस की ताकत उनके संगठन के ढांचे और विचारों में झलकती है। सेवा के क्षेत्र में कार्यरत आरएसएस के कार्यकर्ता जमीन से जुड़े होते हैं और इनका अनुभव देश के श्रमशक्ति को सक्रिय करने में काम आता है। ऐसा भी माना जाता है कि आरएसएस कठिन दौर में देश को दिशा देने वालों में से एक है, जिससे उन्नति और विकास को एक नई दिशा मिलती है।

सरकार और आरएसएस की साझेदारी

सरकार और आरएसएस की साझेदारी

'विकसित भारत' का लक्ष्य सरकार की कई योजनाओं और परियोजनाओं का केंद्र बिंदु है। सरकार की योजनाओं को जमीनी स्तर पर प्रभावी बनाने में आरएसएस की भूमिका को प्रधानमंत्री ने खुल कर सराहा है। गवर्नेंस में सहयोग के रूप में, आरएसएस समाज में जागरूकता और समर्पण की भावना को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

मोदी के भाषण से यह स्पष्ट होता है कि आरएसएस और सरकारी नीतियों की तालमेल से 'विकसित भारत' का लक्ष्य तेजी से हासिल करने की कोशिश की जाएगी।

आरएसएस और सामाजिक समरसता

हर समाज को एकीकृत करने के लिए, समाज के सभी वर्गों के बीच समरसता आवश्यक होती है। आरएसएस का एक प्रमुख उद्देश्य भी यही है कि समाज में किसी भी प्रकार का भेदभाव न रहे और सभी लोग मिलकर देश के विकास में योगदान दें। इस समरसता को बढ़ाने के लिए संघ लगातार प्रयासरत है।

भविष्य की उम्मीदें

प्रधानमंत्री मोदी और आरएसएस के बीच यह तालमेल देश के भविष्य के लिए नई उम्मीदें जगाता है। जैसा कि प्रधानमंत्री ने कहा, संघ का उद्देश्य बदलाव की प्रक्रिया को तेज करना है। इससे साफ जाहिर होता है कि न केवल सरकार, बल्कि सामाजिक संगठन भी 'विकसित भारत' के निर्माण में समान योगदान के लिए काम कर रहे हैं।

आरएसएस की समर्पित सेवाएं और प्रधानमंत्री की नई सोच भारत को एक नई दिशा दे सकती हैं। यह स्पष्ट संकेत है कि भारत का भविष्य उज्जवल है और देश सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक सभी क्षेत्रों में समृद्धि की ओर बढ़ रहा है।

6 टिप्पणि

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    Animesh Shukla

    अक्तूबर 13, 2024 AT 09:18

    क्या आरएसएस की सेवाभावना वाकई सभी समुदायों तक पहुँचती है? या यह सिर्फ एक निश्चित धार्मिक-सांस्कृतिक वर्ग के लिए ही डिज़ाइन की गई सेवा है? मैंने उत्तर प्रदेश के एक गाँव में देखा था कि एक आरएसएस स्वयंसेवक ने एक मुस्लिम परिवार को बाढ़ में बचाया, लेकिन उसके बाद उनके घर के बाहर एक नारा लगा दिया गया - 'हिंदू राष्ट्र जिंदाबाद'। क्या यही समरसता है? या यह सिर्फ एक बाहरी चित्र है जिसे चलाने के लिए ज़रूरी है? ये सवाल अभी भी बाकी हैं।

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    Atul Panchal

    अक्तूबर 15, 2024 AT 03:35

    अगर आरएसएस नहीं होता तो आज भारत क्या होता? तुम्हें पता है जब बंगाल के बांटे गए इलाकों में भारतीय सेना ने बाहरी शक्तियों के साथ लड़ाई लड़ी तो उनके पीछे थे स्वयंसेवक! आज के दिन में जो लोग आरएसएस को नकारते हैं, वो अपनी अशिक्षा के कारण देश के इतिहास को भूल गए हैं। विकसित भारत का निर्माण राष्ट्रवाद से ही होगा, न कि विदेशी विचारों से! ये लोग जो डरते हैं, वो खुद अपनी पहचान से डरते हैं!

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    Shubh Sawant

    अक्तूबर 16, 2024 AT 01:24

    भाई ये बात सच है! आरएसएस के बिना आज न तो बाढ़ में खाना मिलता न ही कोरोना में ऑक्सीजन! जब मैंने उत्तराखंड में जाना तो देखा कि स्वयंसेवक बच्चों को पढ़ा रहे थे और बुजुर्गों को दवाई दे रहे थे। ये लोग नहीं बोलते, बस काम करते हैं। और जिसने भी आरएसएस को बदनाम करने की कोशिश की, वो आज गायब है! मोदी जी ने सही कहा - ये देश की नई ऊर्जा है! जय हिंद!

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    Patel Sonu

    अक्तूबर 17, 2024 AT 00:52

    आरएसएस का नेटवर्क देश के लिए एक सुपरस्ट्रक्चर है जो गवर्नेंस इंफ्रास्ट्रक्चर को एक्सटेंड करता है। इसकी डेटा ड्राइवन ऑपरेशनल फ्लो जमीनी स्तर पर बहुत अधिक एफिशिएंट है। आर्थिक विकास और सामाजिक एकीकरण के लिए इसकी एंगेजमेंट मॉडल एक ब्लूप्रिंट है। ये जो लोग इसे राजनीतिक एजेंडा बताते हैं वो टेक्नोलॉजी और सोशल कैपिटल के बारे में नहीं जानते। ये एक सिस्टम है जो एक लाख बिंदुओं पर ऑपरेट होता है।

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    Puneet Khushwani

    अक्तूबर 18, 2024 AT 14:34

    बस इतना ही।

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    Adarsh Kumar

    अक्तूबर 20, 2024 AT 08:36

    हाहाहा ये सब बकवास है। आरएसएस जो करता है वो देश के लिए नहीं बल्कि एक अंतर्द्वंद्व को बनाए रखने के लिए है। तुम्हें पता है कि जब बाढ़ में खाना बांटा जाता है तो वो खाना बांटने वाला व्यक्ति बाद में वहीं एक शिविर बना देता है जहां लोगों को बार-बार गीत गाने को कहा जाता है? ये नहीं कि वो सेवा कर रहा है बल्कि ये कि वो लोगों को ब्रेनवॉश कर रहा है। और मोदी जी को ये पता है। वो जानते हैं कि जब तक लोग एक दूसरे के खिलाफ लड़ेंगे तब तक वो शक्तिशाली रहेंगे। ये नहीं कि वो विकास चाहते हैं बल्कि ये कि वो शासन चाहते हैं। तुम ये सब नहीं देख पा रहे क्योंकि तुम्हें बस एक तरफ की कहानी दी गई है।

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