पितृपक्ष 2024: तिथि स्पष्टता और महत्वपूर्ण अनुष्ठान

पितृपक्ष, जिसे हर साल भारतीय हिंदू कैलेंडर में महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठानों के लिए जाना जाता है, इस साल 2024 में विवाद का विषय बना हुआ था। तिथि को लेकर उठे इस मुद्दे को साफ करती एक जानकारी के अनुसार, पितृपक्ष इस साल 18 सितंबर से शुरू हो रहा है। यह 15 से 16 दिनों का अवधि होता है जिसमें पूर्वजों के तर्पण, श्राद्ध और पिंड दान जैसे धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।

पितृपक्ष की तिथि की महत्वपूर्णता

कई लोगों में भ्रम था कि पितृपक्ष 17 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू होता है या 18 सितंबर को अश्विन कृष्ण प्रतिपदा तिथि से। इस बार करमचारी पराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के विशेषज्ञों, ज्योतिषाचार्य पं. राकेश पांडे और काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट ने इस मुद्दे को स्पष्ट करते हुए बताया कि सही प्रारंभ तिथि 18 सितंबर है। यह तिथि अश्विन कृष्ण प्रतिपदा से मेल खाती है, जो कि पितृपक्ष के आरम्भिक दिन के रूप में मानी जाती है।

भाद्रपद पूर्णिमा का महत्व

हालांकि, 17 सितंबर को गिरने वाली भाद्रपद पूर्णिमा तिथि भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। इस दिन को पूर्णिमा श्राद्ध कहा जाता है और यह उन पूर्वजों के लिए विशेष है जिनका निधन पूर्णिमा तिथि पर हुआ। यह पहला दिन तर्पण जैसे अनुष्ठानों के लिये महत्वपूर्ण होता है।

पितृपक्ष में धार्मिक अनुष्ठान

पितृपक्ष के दौरान प्रमुख धार्मिक अनुष्ठानों में तर्पण, श्राद्ध और पिंड दान शामिल हैं। ये अनुष्ठान पूर्वजों की आत्मिक शांति के उद्देश्य से किए जाते हैं। तर्पण का मतलब जल का अर्पण करना है, जो कि प्रतीकात्मक रूप से पूर्वजों को जल पिलाने का कार्य है। इस जल को पवित्र स्थान पर अर्पित किया जाता है।

श्राद्ध और पिंड दान का महत्व

श्राद्ध अनुष्ठान में दिवंगत आत्माओं का आह्वान किया जाता है और उनके लिए खाद्य पदार्थों का नैवेद्य अर्पित किया जाता है। पिंड दान श्राद्ध का ही एक भाग होता है जिसमें चावल, जौ और तिल के मिश्रण से बने पिंड बनाकर अर्पित किए जाते हैं। यह अनुष्ठान उनके शरीर की पुनर्निर्माण की प्रक्रिया के रूप में देखा जाता है।

तिथि की अनिश्चितता

अगर मृतक की सही तिथि ज्ञात नहीं है तो इन अनुष्ठानों को पितृपक्ष के किसी भी दिन किया जा सकता है। पितृपक्ष का अंतिम दिन सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या के रूप में मनाया जाता है और यह उन सभी पूर्वजों को समर्पित होता है जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है।

अखण्ड धार्मिक विश्वास

पितृपक्ष का यह समय धार्मिक विश्वास और परंपराओं का अखण्ड हिस्सा है जो भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है। इन अनुष्ठानों का पालन करना पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का हर दार्शनिक और धार्मिक तौर-तरिके से महत्वपूर्ण होता है।

इस प्रकार, पितृपक्ष 2024 के आरंभ की स्पष्टत: 18 सितंबर है और यह महत्वपूर्ण अनुष्ठानों का समय है जिसमें हम अपने पूर्वजों को याद करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

16 टिप्पणि

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    Pushkar Goswamy

    सितंबर 18, 2024 AT 22:56
    18 सितंबर से शुरू हो रहा है? ये तो बिल्कुल सही है। ज्योतिष शास्त्र के बिना ये सब अंधविश्वास हो जाता है। काशी के भट्ट जी ने जो बताया, वो ही सच है।
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    Anila Kathi

    सितंबर 20, 2024 AT 02:54
    मुझे तो लगता है कि 17 सितंबर को पूर्णिमा श्राद्ध होना ज्यादा महत्वपूर्ण है... ये तिथि तो हर कोई भूल जाता है। 😕
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    Vinay Vadgama

    सितंबर 21, 2024 AT 23:03
    पितृपक्ष का ये समय हमें याद दिलाता है कि हम किसके बिना यहाँ हैं। इस अवधि में शांति और कृतज्ञता का भाव बनाए रखना चाहिए।
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    krishna poudel

    सितंबर 22, 2024 AT 09:36
    अरे भाई, ये सब ज्योतिष वालों का खेल है। एक दिन बदल जाता है, दूसरा दिन बदल जाता है। जब तक पिंड दान हो रहा है, तब तक ठीक है।
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    vasanth kumar

    सितंबर 22, 2024 AT 16:01
    मैं हर साल अपने गाँव में पिंड दान करता हूँ। वहाँ एक बूढ़े पंडित जी कहते हैं - जिस दिन दिल से किया जाए, वही दिन सही है।
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    Pooja Shree.k

    सितंबर 22, 2024 AT 21:39
    मैंने तो बस एक बार श्राद्ध किया था... बहुत भारी लगा... लेकिन फिर भी... अगर नहीं किया, तो लगता है, कुछ बाकी रह जाता है... बहुत बार याद आता है...
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    Andalib Ansari

    सितंबर 24, 2024 AT 17:32
    क्या हम इन अनुष्ठानों को केवल अंधविश्वास के रूप में देख रहे हैं? या ये एक ऐसा सामाजिक संकेत है जो हमें मृत्यु के बारे में सोचने का मौका देता है? एक विचार के रूप में, ये बहुत गहरा है।
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    Akshay Srivastava

    सितंबर 25, 2024 AT 14:36
    17 सितंबर को पूर्णिमा है, ये तो ज्योतिषीय गणना से साबित है। जिन लोगों ने 18 सितंबर को बताया, उनकी गणना गलत है। ये बात स्पष्ट कर दी जानी चाहिए।
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    Roopa Shankar

    सितंबर 26, 2024 AT 14:18
    मैंने अपनी दादी के लिए पिंड दान किया था... उन्होंने मुझे बताया था कि जब तक हम उन्हें याद रखेंगे, वे हमारे साथ हैं। इसलिए मैं हर साल अपने घर के कोने में एक छोटा सा श्राद्ध करती हूँ।
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    Abhinav Dang

    सितंबर 28, 2024 AT 12:27
    ज्योतिष अलग बात है, पर अगर तुम्हारे परिवार में कोई अनुष्ठान नहीं है, तो तुम्हारी आत्मा को भी एक जगह नहीं मिलती। ये न सिर्फ धर्म है, ये तो विरासत है।
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    Amar Khan

    सितंबर 29, 2024 AT 14:36
    मैंने पिंड दान नहीं किया... लेकिन मैंने अपने पिता की तस्वीर के सामने एक गिलास पानी रख दिया... और फिर रो दिया... ये भी तर्पण है न?
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    Vasudev Singh

    सितंबर 29, 2024 AT 15:21
    देखो, पितृपक्ष का मतलब बस तिथि नहीं है। ये तो एक अवसर है कि हम अपने जीवन में वो चीजें देखें जिनके लिए हमारे पूर्वजों ने संघर्ष किया। जब तुम तर्पण करते हो, तो तुम अपने आप को उनके संघर्ष के साथ जोड़ रहे हो। ये बहुत शक्तिशाली है।
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    shivesh mankar

    सितंबर 30, 2024 AT 13:54
    अगर किसी के पास अभी तक पिंड दान करने का मौका नहीं मिला है, तो बस एक शांत बैठकर अपने पूर्वजों के बारे में सोच लो। दिल से याद करना ही सबसे बड़ा श्राद्ध है।
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    avi Abutbul

    अक्तूबर 2, 2024 AT 11:43
    मैंने अपने दादा के लिए एक छोटा सा श्राद्ध किया। उन्होंने मुझे बचपन में रोटी दी थी... आज भी उनकी याद आती है।
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    Hardik Shah

    अक्तूबर 2, 2024 AT 16:10
    अरे भाई, ये सब बकवास है। ज्योतिष वाले अपनी जान बचाने के लिए तिथियाँ बदल देते हैं। कोई नहीं जानता कि क्या सही है।
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    manisha karlupia

    अक्तूबर 2, 2024 AT 20:00
    मैंने अपने दादा को देखा था... वो हर दिन एक फूल और एक गिलास पानी लेकर बैठ जाते थे... बिना किसी तिथि के... बस याद करते थे... मुझे लगता है, वो ही सच्चा श्राद्ध था।

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