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जून की पूर्णिमा और 'स्ट्रॉबेरी मून'
जून की पूर्णिमा, जिसे 'स्ट्रॉबेरी मून' के रूप में जाना जाता है, इस साल 21 जून 2024 को शाम 8:08 बजे CT (केंद्रीय समय) पर होने जा रही है। इस बार की पूर्णिमा कई मामलों में खास है। सबसे पहले, यह पूर्णिमा ग्रीष्म संक्रांति के साथ संयोग कर रही है। यह संयोग खगोलीय अध्ययन के छात्रों और प्रेमियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि ग्रीष्म संक्रांति का समय और वर्ष की सबसे लंबी दिन की रोशनी इस पूर्णिमा को विशेष बनाती है।
खगोल विज्ञान के अनुसार, पूर्णिमा का अनुमानित समय इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह खगोलीय घटनाओं के अध्ययन और उनकी सही गणना में सहायक होता है। इस वर्ष की ग्रीष्म संक्रांति 20 जून 2024 को दोपहर 3:50 बजे CT (केंद्रीय समय) पर हुई, और यह दिन 15 घंटों, 13 मिनटों, और 41 सेकंड की रोशनी के साथ वर्ष का सबसे लंबा दिन था। यह इतनी लंबी रोशनी का दिन था क्योंकि इस बार की ग्रीष्म संक्रांति 228 वर्षों में सबसे पहले आई, पिछली बार यह 20 जून 1796 को हुई थी। यह बदलाव लीप वर्ष के कारण संभव हुआ, जो कैलेंडर को सौर वर्ष से थोड़ा असमान करती है। इस परिवर्तन के कारण, भविष्य के लीप वर्षों में विषुव और संक्रांति पहले ही होगी।
'स्ट्रॉबेरी मून' का नाम और उसका महत्व
'स्ट्रॉबेरी मून' नाम का अर्थ समझने के लिए हमें पिछले समय की पारंपरिक संस्कृतियों की ओर जाना होगा। यह नाम नेटिव अमेरिकन एल्गोंक्विन जनजातियों, ओजिब्वे, डकोटा, और लकोटा लोगों द्वारा दिया गया था। यह नाम इस समय के दौरान 'जून-उगने वाले' स्ट्रॉबेरी के पकने के समय को दर्शाता है। इन जनजातियों ने इसे एक महत्वपूर्ण समय माना क्योंकि यह ताजे फलों के उपलब्ध होने का संकेत था। इस समय के दौरान आने वाला पूरा चंद्रमा इस आशीर्वाद को दर्शाता था जो जनजीवन की खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था।
इस साल के 'स्ट्रॉबेरी मून' के बारे में एक और विशेषता यह है कि इसका स्थान आकाश में नीचा होगा। 'Farmer’s Almanac' के अनुसार, यह पूर्णिमा वर्षों की सबसे निचली होगी। जब चंद्रमा आकाश में नीचा हो, तो इसे 'मून इल्यूज़न' कहा जाता है, क्योंकि यह तब बड़ा दिखता है। इसे देखा जाना भी खगोलीय प्रेमियों के लिए एक अद्भुत अनुभव है। इतना ही नहीं, इसका रंग भी खास है। चंद्रमा का कम ऊँचाई पर होने के कारण इसकी रोशनी में एक नारंगी-लाल रंग का प्रभाव होता है, जो इसे और भी आकर्षक बनाता है।
ग्रीष्म संक्रांति और इसके प्रभाव
ग्रीष्म संक्रांति का पूर्णिमा के साथ संबंध अत्यंत खास होता है। यह खगोलीय घटना ना केवल खगोल विज्ञानी और छात्रों के लिए, बल्कि सामान्य लोगों के लिए भी एक रोचक विषय होती है। ग्रीष्म संक्रांति वह समय है जब सूर्य अपने सर्वोच्च बिंदु पर होता है और दिन की रोशनी सबसे लंबी होती है। इस साल की ग्रीष्म संक्रांति ने हमारे जीवन में नया ऐश्वर्य और प्रकृति का अद्भुत नज़ारा प्रस्तुत किया।
इस साल के संक्रांति के समय को ध्यान में रखते हुए हम कह सकते हैं कि यह वर्ष 228 साल बाद एक महत्वपूर्ण समय था। पिछली बार ऐसी स्थिति 1796 में पैदा हुई थी जब ग्रीष्म संक्रांति 20 जून को हुई थी। लीप वर्ष के कारण ग्रीष्म संक्रांति का समय बदलता है और कैलेंडर का सौर वर्ष के साथ मेल बैठता नहीं। इस तरह की हलकी असमानता भविष्य के वर्षों में भी होती रहेगी और हमें विषुव और संक्रांति के समय में बदलाव दिखाई देगा।
'मून इल्यूज़न' और आकाश का रंग
'स्ट्रॉबेरी मून' की इस पूर्णिमा का विशेषता इसकी नीची स्थिति है। आकाश में इसका नीचा होना 'मून इल्यूज़न' नामक घटना को उत्पन्न करता है। इस स्थिति में चंद्रमा हमें सामान्य से बड़ा दिखाई देता है जबकि उसकी वास्तविक आकार में कोई बदलाव नहीं होता। इसे एक मानसिक भ्रम के रूप में देखा जा सकता है, जिससे हमें लगता है कि चंद्रमा अपनी वास्तविक आकार से बड़ा हो गया है।
इस मून इल्यूज़न के साथ-साथ इस बार का 'स्ट्रॉबेरी मून' नारंगी-लाल रंग का होगा। जब चंद्रमा आकाश में कम ऊँचाई पर होता है, तो इसका रंग बदल जाता है। इस बार की पूर्णिमा का रंग प्राकृतिक घटना की तरह अद्भुत होगा और यह दक्षिण पूर्व आकाश में एक अनोखी सौंदर्य प्रदान करेगा।
भविष्य के लिए पूर्णिमा और ग्रीष्म संक्रांति के समय
भविष्य में हम आने वाले वर्षों में और भी रोचक खगोलीय घटनाओं का सामना कर सकते हैं। जिनमें से विषुव और संक्रांति के समय में बदलाव एक मुख्य भाग होगा। लीप वर्ष के कारण होने वाले इस बदलाव को समझना और इसके पीछे के वैज्ञानिक तथ्यों को जानना खुद में ही एक रोचक अध्ययन का विषय है। आने वाली पूर्णिमाएं और उनके साथ होने वाली ग्रीष्म संक्रांति और विषुव हमारे जीवन में कई रोचक और अद्भुत अनुभव लाकर देंगे।
इस साल की 'स्ट्रॉबेरी मून' की इस अनोखी घटना का आनंद लेने के लिए हमें खगोलीय अवसरों का सही प्रबंधन करना आवश्यक है। प्रकृति के इन अद्भुत नजारों को देखना और समझना, हमें जीवन के महत्व और हमारे पर्यावरण के प्रति और अधिक जागरूक बनाता है।
Abhinav Dang
जून 22, 2024 AT 03:25krishna poudel
जून 23, 2024 AT 01:32Anila Kathi
जून 24, 2024 AT 03:14vasanth kumar
जून 25, 2024 AT 16:05Andalib Ansari
जून 26, 2024 AT 19:14Pooja Shree.k
जून 28, 2024 AT 15:59Vasudev Singh
जून 29, 2024 AT 20:20Akshay Srivastava
जून 30, 2024 AT 12:21Amar Khan
जून 30, 2024 AT 19:47Roopa Shankar
जुलाई 2, 2024 AT 03:47shivesh mankar
जुलाई 2, 2024 AT 15:13avi Abutbul
जुलाई 4, 2024 AT 09:31Hardik Shah
जुलाई 5, 2024 AT 10:00