बुद्ध पूर्णिमा, जिसे वेसाक या बुद्ध जयंती के नाम से भी जाना जाता है, विश्व भर में बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं का स्मरण करता है, उनके जन्म की वर्षगांठ और उनकी ज्ञान प्राप्ति (निर्वाण) के दिन को चिह्नित करता है। यह अवसर भारत में और दक्षिण पूर्व एशिया के कई देशों जैसे थाईलैंड, चीन, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तिब्बत में बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है।
2024 में बुद्ध पूर्णिमा गुरुवार, 23 मई को पड़ रही है। बुद्ध पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है:
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 22 मई, 2024 को शाम 6:47 बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्ति: 23 मई, 2024 को शाम 7:22 बजे
- स्नान और दान का शुभ समय: 23 मई को सुबह 4:04 बजे से 5:26 बजे तक
- भगवान विष्णु की पूजा का शुभ समय: सुबह 10:35 बजे से दोपहर 12:18 बजे तक
राजकुमार सिद्धार्थ गौतम, जिनका जन्म लगभग 563 ईसा पूर्व लुम्बिनी, वर्तमान नेपाल में हुआ था, बाद में बुद्ध के नाम से जाने गए। उनकी रूपांतरकारी यात्रा बिहार के बोधगया में एक बोधि वृक्ष के नीचे उनके ज्ञान प्राप्ति या निर्वाण के साथ चरम पर पहुंची।
बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध कैलेंडर में महान महत्व रखता है क्योंकि यह गौतम बुद्ध, 'ज्ञान प्राप्त व्यक्ति' को सम्मानित करता है जिन्होंने 'कर्म' को पार किया और खुद को पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त किया। इस दिन मंदिरों के दर्शन, ध्यान सत्र, बौद्ध धर्म ग्रंथों के पाठ, भिक्षुओं को भोजन और भिक्षा देने और परोपकारी कार्यों में भाग लेने से मनाया जाता है।
बुद्ध का जीवन परिचय
सिद्धार्थ गौतम का जन्म शाक्य गणराज्य के राजा शुद्धोदन और रानी माया के घर हुआ था। उनकी माता ने उनके जन्म के कुछ दिनों बाद ही अंतिम सांस ली। उन्हें एक राजकुमार के रूप में पाला गया और हर तरह की सुख-सुविधा और शाही ठाट-बाट के बीच उनका लालन-पालन हुआ। हालाँकि, एक युवा व्यक्ति के रूप में, वह अक्सर जीवन और मृत्यु के अर्थ पर चिंतन किया करते थे।
29 वर्ष की आयु में, सिद्धार्थ ने अपना घर छोड़ दिया और आध्यात्मिक प्रबोधन की खोज में निकल पड़े। कई वर्षों तक विभिन्न धार्मिक शिक्षकों के साथ अध्ययन और ध्यान करने के बाद, उन्हें गया के पास एक पीपल के पेड़ के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई। इस क्षण से, वह बुद्ध या "ज्ञान प्राप्त" के रूप में जाने जाने लगे।
बुद्ध की शिक्षाएँ
बुद्ध की मूल शिक्षाओं में चार आर्य सत्य शामिल हैं:
- दुख का सत्य: जीवन में दुख है
- दुख समुदाय का सत्य: दुख का कारण तृष्णा या वासना है
- दुख निरोध का सत्य: दुख का अंत संभव है
- दुख निरोध गामिनी प्रतिपदा का सत्य: दुख को समाप्त करने का मार्ग अष्टांगिक मार्ग है
अष्टांगिक मार्ग में सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वाणी, सम्यक कर्मांत, सम्यक आजीविका, सम्यक व्यायाम, सम्यक स्मृति और सम्यक समाधि शामिल हैं। ये आठ पहलू एक नैतिक और आध्यात्मिक जीवन जीने के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत प्रदान करते हैं।
बुद्ध ने अहिंसा, करुणा और मध्यम मार्ग के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने सिखाया कि सभी जीवित प्राणियों के प्रति दया और करुणा महत्वपूर्ण है और कि अतिवाद या अत्याचार से बचना चाहिए। मध्यम मार्ग का अर्थ है चरम सीमाओं से बचना और जीवन में संतुलन बनाए रखना।
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म में सबसे पवित्र दिनों में से एक माना जाता है। यह दिन बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण की तिथि को दर्शाता है। इस दिन, श्रद्धालु बौद्ध मठों और मंदिरों में जाते हैं, प्रार्थना और ध्यान करते हैं, और भिक्षुओं को भोजन और दान देते हैं।
कई बौद्ध देशों में, बुद्ध पूर्णिमा एक सार्वजनिक अवकाश का दिन होता है और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों और जुलूसों के साथ मनाया जाता है। भारत में, सारनाथ और बोधगया जैसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल इस दिन विशेष रूप से सजाए जाते हैं और हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं।
बुद्ध पूर्णिमा न केवल बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए, बल्कि उन सभी के लिए भी महत्वपूर्ण है जो शांति, अहिंसा और करुणा के सार्वभौमिक मूल्यों में विश्वास करते हैं। यह एक ऐसा दिन है जो हमें बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं पर प्रतिबिंबित करने और एक अधिक करुणामय और न्यायसंगत दुनिया के निर्माण के लिए प्रेरित करता है।
| वर्ष | बुद्ध पूर्णिमा की तिथि |
|---|---|
| 2023 | 5 मई |
| 2024 | 23 मई |
| 2025 | 12 मई |
बुद्ध पूर्णिमा हमें बुद्ध के अनमोल जीवन और उपदेशों को याद दिलाती है। यह हमें शांति, सद्भाव और करुणा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है। आइए हम सब इस पावन दिन पर बुद्ध की शिक्षाओं पर चिंतन करें और एक बेहतर दुनिया बनाने के संकल्प लें।
jijo joseph
मई 23, 2024 AT 13:22बुद्ध पूर्णिमा का ये एक असली सार्वभौमिक अवसर है जो धर्म की सीमाओं को पार कर जाता है। चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग आज के अत्यधिक तनाव वाले जीवन में एक निर्माणात्मक फ्रेमवर्क हैं। मध्यम मार्ग न केवल आध्यात्मिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य का भी आधार है।
Manvika Gupta
मई 24, 2024 AT 23:25मुझे लगता है बुद्ध की शिक्षाएं बहुत गहरी हैं पर अब लोग तो बस फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर डाल देते हैं
leo kaesar
मई 25, 2024 AT 09:25ये सब बकवास है बुद्ध कोई देवता नहीं बल्कि एक फिलॉसफर था और तुम सब उसके नाम पर लूट रहे हो
Ajay Chauhan
मई 25, 2024 AT 20:43मैंने ये पोस्ट पढ़ा और बस एक बात समझ आई - लोग अभी भी अंधविश्वास के नाम पर गांठ बांधे हुए हैं। बुद्ध ने तो भगवान को खारिज किया था और फिर भी तुम उसकी पूजा करते हो? बेकार की बातें
Taran Arora
मई 27, 2024 AT 10:28भाई ये तो बहुत अच्छा है बुद्ध की शिक्षाएं आज भी जिंदा हैं। हमें इसे बच्चों को सिखाना चाहिए। ध्यान और करुणा से दुनिया बदल सकती है। चलो आज से ही एक छोटा सा परोपकार शुरू करें। आप सब भी जुड़ जाओ
Atul Panchal
मई 29, 2024 AT 09:12बुद्ध का जन्म नेपाल में हुआ था लेकिन उसकी शिक्षाएं भारत में ही विकसित हुईं। अब देखो नेपाल और श्रीलंका भारत की विरासत को चुरा रहे हैं। ये आध्यात्मिक जातीय अपहरण है
Shubh Sawant
मई 31, 2024 AT 01:17भारत का बुद्ध भारत का है बस अब दुनिया भर में फैल गया। जब तक भारतीयों को ये नहीं पता चलेगा कि हमारी विरासत कितनी शक्तिशाली है तब तक दुनिया हमें नहीं समझेगी
Patel Sonu
मई 31, 2024 AT 11:12ध्यान और अहिंसा बस एक ट्रेंड नहीं बल्कि एक जीवन शैली है जिसे हम भूल गए हैं। आज एक बार बैठकर खुद को देखो बिना फोन के बस 5 मिनट के लिए
Puneet Khushwani
मई 31, 2024 AT 15:59सब कुछ बहुत लंबा लिखा है पर कोई बात नहीं बताई गई कि आज बुद्ध की शिक्षाएं कहाँ असर डाल रही हैं
Adarsh Kumar
मई 31, 2024 AT 18:36बुद्ध पूर्णिमा का असली मतलब तो ये है कि लोग अपने आप को बुद्ध के नाम पर बहकाकर दान देने से बच जाएं। ये सब एक बड़ा धार्मिक मार्केटिंग ट्रिक है जिसमें मंदिर और भिक्षु दोनों लाभ उठा रहे हैं